कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये भारत द्वारा लिपुलेख-धारचूला मार्ग के उद्घाटन करने के बाद नेपाल ने इस पर आपत्ति जताई।
मुख्य बिन्दु –
- हालिया विवाद का कारण उत्तराखंड के धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ती एक सड़क है। नेपाल का दावा है कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किये बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है।
- तत्पश्चात नेपाल ने नवीन मानचित्र जारी किया जो उत्तराखंड के कालापानी , लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
- उल्लेखनीय है कि सुगौली संधि में महाकाली नदी को नेपाल की पश्चिमी सीमा के रूप में परिभाषित किया गया है।
- नेपाल के अनुसार, सुगौली संधि (वर्ष 1816) के तहत महाकाली नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र, जिनमें लिंपियाधुरा , कालापानी और लिपुलेख शामिल हैं, ये सभी नेपाल का अभिन्न अंग हैं।
- इसके अतिरिक्त नवंबर, 2019 को भारत ने एक नवीन मानचित्र प्रकाशित किया था जो जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में दर्शाता है। इसमें कालापानी को भारतीय क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र ने भारत-नेपाल के बीच पुराने विवादों में नई जान डाल दी।
दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक सीमा है, जिससे भारत के पाँच राज्य–सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड आते हैं।लगभग 98% प्रतिशत सीमा की पहचान व उसके नक्शे पर सहमति बन चुकी है, कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद है जिसे बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रक्रिया चल रही है।