
भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है जब स्पेसएक्स ड्रैगन यान ने भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित एक्सिओम-4 मिशन के दल को लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से आज दोपहर 4 बजे सफलतापूर्वक डॉक किया। यह क्षण इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि भारत का कोई अंतरिक्ष यात्री 41 वर्षों के बाद फिर से अंतरिक्ष में गया है। लखनऊ में जन्मे शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं।
यह मिशन केवल एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक तकनीकी नेतृत्व की ओर बढ़ती हुई सशक्त यात्रा का प्रमाण भी है। इस मिशन में अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के चार अंतरिक्ष यात्री 14 दिवसीय वैज्ञानिक अभियान के लिए लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में पहुंचे हैं, जहाँ उनका यान ISS के हार्मनी मॉड्यूल से जुड़ा है।
🌱 अनुसंधान और प्रयोग:
शुभांशु शुक्ला इस मिशन में खाद्य और अंतरिक्ष पोषण से संबंधित अग्रणी वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे। यह प्रयोग ISRO और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के सहयोग से तथा NASA के समर्थन से विकसित किए गए हैं। इनका उद्देश्य दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्राओं के लिए सतत जीवन समर्थन प्रणालियों को समझना और विकसित करना है।
विशेष रूप से, अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन का पोषणकारी माइक्रोएल्गी (microalgae) पर प्रभाव अध्ययन किया जाएगा, जिसे भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन का स्रोत माना जा रहा है। शोध में इन पौधों की विकास दर, जीन अभिव्यक्ति (transcriptomic), प्रोटीन संरचना (proteomic) और चयापचय (metabolomic) पर अंतरिक्ष के प्रभावों का पृथ्वी से तुलना कर मूल्यांकन किया जाएगा।
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