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“जाके पाँव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई” यह कहावत भारतीय जनजीवन में अत्यधिक प्रसिद्ध है। इस कहावत का अर्थ है कि जिसने स्वयं कष्ट नहीं भोगा है, वह दूसरों के कष्ट को नहीं समझ सकता। यह कहावत Read More …
“जाके पाँव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई” यह कहावत भारतीय जनजीवन में अत्यधिक प्रसिद्ध है। इस कहावत का अर्थ है कि जिसने स्वयं कष्ट नहीं भोगा है, वह दूसरों के कष्ट को नहीं समझ सकता। यह कहावत Read More …
परिचय ‘घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध’ यह प्रसिद्ध हिंदी कहावत भारतीय समाज में अक्सर सुनने को मिलती है। इस कहावत का मूल अर्थ है कि अपने घर में या अपने समाज में व्यक्ति की उतनी कद्र नहीं Read More …
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। यह दिवस योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके अभ्यास को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। इस दिन का आयोजन 2015 Read More …
कहावत का अर्थ “नेतह त भाई बेटा न केतनो जोर” का शाब्दिक अर्थ है कि अगर कुछ पूर्वनिर्धारित है, तो चाहे कितना भी जोर लगा लो, उसे बदलना मुश्किल होता है। यह कहावत हमें यह बताती है कि जीवन में Read More …
विभूती नारायण राय, (पूर्व आईपीएस अधिकारी) अपनी भौगोलिक, भाषिक और सांस्कृतिक विविधताओं के चलते भारतीय चुनाव दुनिया भर के पर्यवेक्षकों के लिए हमेशा उत्सुकता के विषय रहे हैं। ब्रिटिश राजनेता चर्चिल शांतिपूर्ण तरीकों से अपनी सरकारें चुनने को लेकर भारतीय Read More …
लेखक – ओम प्रकाश रावत, [ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ] पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने ‘एक देश एक चुनाव’ ( One Nation One Election ) पर अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। साल 1982-83 में Read More …
हाल ही में, भारत ने इज़राइल-हमास संघर्ष में मानवीय संघर्ष विराम के आह्वान वाले एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान में भाग नहीं लिया। इस प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम, शत्रुता को समाप्त करने और गाजा में अप्रतिबंधित मानवीय Read More …
शिक्षा का वास्तविक अर्थ ‘सीख’ है, जिससे मानव का विवके जागृत होता है. सभी शिक्षा का उद्देश्य सच्चाई प्रकट करना तथा व्यावहारिक जीवन में हर प्रकार की सहायता प्रदान करना है. महात्मा गांधी के मतानुसार सच्ची शिक्षा पुस्तकें पढ़ने में Read More …
साम्प्रदायिकता से अभिप्राय है । दो सप्रदायों के मतावलम्बियों के बीच परस्पर सौहार्द्र विद्वेष की भावना से जब कोइ आदमी किसी संप्रदाय के पक्ष में बोलता है तो लोग उसे भी साम्प्रदायिक या सम्प्रदायवादी कहते हैं और जब कोइ आदमी Read More …
भावार्थ : जिस देश में शिक्षित नारियों का प्रतिशत जितना अधिक है वह देश उतना ही विकसित है । अतएव बालिकाओं को शिक्षित करना उतना ही जरूरी है जितना की बालकों को । मानव सभ्यता का रथ पुरुष और नारी Read More …
भावार्थ : जातिवाद केवल एक पाखण्ड सामान है जिसका सदा दुरूपयोग किया जाता है. मनुष्य की कार्यशक्ति के आधार पर ही इसका निर्धारण होना चाहिए. सांप के डंसने से केवल एक व्यक्ति के शरीर में ही विष फैलता है लेकिन Read More …
भावार्थ : समय बहुमूल्य है, समय ही धन है। समय पर संपन्न कार्य ही फलदायी होता है। परिचय स्वस्थ मस्तिष्क वाले हर व्यक्ति में उन्नति की चाह होती। जिसमें उन्नति की चाह न हो, उसे एक प्रकार से भूत ही Read More …