विदेश में रेल इंजन निर्यात (Export Railway Engines) करने वाला भारत का पहला राज्य बना बिहार

Railway Engines

20 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के सारण ज़िले के मढ़ौरा स्थित लोकोमोटिव फैक्ट्री से निर्मित डीज़ल रेल इंजन (Railway Engines)  को विदेश भेजने की हरी झंडी दिखाई।

यह इंजन पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी (Guinea) को निर्यात किया जाएगा।

यह पहली बार है जब बिहार में निर्मित इंजन का निर्यात किया जा रहा है।

डील का विवरण– यह सौदा लगभग ₹3000 करोड़ का है।

कुल 729 इंजन भारत में अब तक आपूर्ति किए जा चुके हैं।

इस डील में 4500 हॉर्सपावर (HP) के 545 इंजन तथा 6000 HP के 184 इंजन शामिल हैं।

प्रथम खेप के रूप में KOMO नामक इंजन को रवाना किया गया।

 

तकनीकी विशेषताएँ-

इन इंजनों की अधिकतम गति- 100 किमी/घंटा है।

निर्माण में एक माह का समय लगा।

एक हफ्ते में यह इंजन मढ़ौरा से गुजरात के मुंद्रा पोर्ट भेजा जाएगा और वहां से समुद्री मार्ग से दक्षिण अफ्रीका ले जाया जाएगा।

 

मढ़ौरा लोकोमोटिव फैक्ट्री : विकास यात्रा

2007 – फैक्ट्री की आधारशिला रखी गई

2018- यूनिट ने कार्य करना प्रारंभ किया

2019- पहला डीज़ल इंजन तैयार हुआ

2025- पहली बार विदेशी निर्यात हुआ

 

यह फैक्ट्री 226 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है।

यहाँ पर देश के विभिन्न राज्यों से स्पेयर पार्ट्स मंगवाकर इंजन तैयार किया जाता है।

निर्यात बढ़ने के साथ उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि की जा रही है।

 

औद्योगिक पुनर्जागरण – बिहार के लिए क्या अर्थ है?

‘मेक इन बिहार’ पहल के तहत यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

यह फैक्ट्री बिहार को एक वैश्विक लोकोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलने की दिशा में अग्रसर है।

औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन और निर्यात में वृद्धि के संकेत।

 

मढ़ौरा को ‘बिहार का मैनचेस्टर’ कहा जाता था।

यहाँ चार प्रमुख फैक्ट्रियाँ थीं जो 24 घंटे कार्यरत रहती थीं।

तीनों शिफ्ट में हज़ारों कामगार काम करते थे।

समय के साथ ये फैक्ट्रियाँ बंद हो गईं और मढ़ौरा औद्योगिक रूप से पिछड़ गया था।

अब इस फैक्ट्री के पुनरुत्थान से क्षेत्र में औद्योगिक पुनर्जागरण की उम्मीद।
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