
भारत ने चीन के क़िंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत घोषणापत्र की भाषा से असंतुष्ट था क्योंकि उसमें सीमा पार आतंकवाद का कोई उल्लेख नहीं था। माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा समर्थन न देने के चलते यह सम्मेलन संयुक्त विज्ञप्ति के बिना समाप्त हुआ।
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में आतंकवाद, कट्टरपंथ और उग्रवाद को क्षेत्रीय शांति और विश्वास के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा, “शांति और समृद्धि आतंकवाद के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती।” पहल्गाम हमले का उदाहरण देते हुए, जिसमें एक नेपाली नागरिक सहित 26 नागरिक मारे गए थे, उन्होंने बताया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आत्मरक्षा का प्रयोग करते हुए आतंकी ढांचे को नष्ट किया।
श्री सिंह ने SCO सदस्य देशों से दोहरे मानदंड छोड़ने और आतंकवाद के प्रायोजकों को जिम्मेदार ठहराने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं, जो स्वीकार्य नहीं है।
रक्षा मंत्री ने एससीओ की वैश्विक भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिसमें सदस्य देश वैश्विक GDP में लगभग 30% योगदान देते हैं और विश्व की 40% जनसंख्या को प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि एक सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र सामूहिक हित में है।
उन्होंने ड्रोन, हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर हमलों और हाइब्रिड युद्ध जैसी चुनौतियों का भी उल्लेख किया और इसके समाधान हेतु प्रौद्योगिकी और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
अंत में, श्री सिंह ने बहुपक्षवाद में सुधार और राष्ट्रों के बीच सार्थक संवाद की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि किसी भी देश के लिए वैश्विक चुनौतियों का अकेले समाधान संभव नहीं है। उन्होंने बेलारूस को एससीओ के नए सदस्य के रूप में स्वागत भी किया।
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