
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक ऐसी नीति बनाने पर विचार करने को कहा है, जिससे भारत में अपराधों के आरोपी विदेशी नागरिकों को देश छोड़कर भागने से रोका जा सके।2 यह निर्देश एक हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामले के संदर्भ में दिया गया, जिसमें एक नाइजीरियाई नागरिक जमानत मिलने के बाद कथित तौर पर अपने देश भाग गया था।
यहाँ इस मामले से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
👉 मामले की पृष्ठभूमि: झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद एक नाइजीरियाई नागरिक मई 2022 में अपने देश भाग गया था।3 इसके बाद, पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उस जमानत आदेश को रद्द कर दिया और अधिकारियों को आरोपी को वापस भारत लाने का निर्देश दिया।
👉 सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामले बार-बार सामने आते हैं, और इसलिए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित दिशानिर्देशों का एक सेट तैयार किया जाना चाहिए।
👉 प्रत्यर्पण में चुनौती: केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राज कुमार भास्कर ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि नाइजीरिया के साथ किसी द्विपक्षीय संधि के अभाव में आरोपी का प्रत्यर्पण (extradition) संभव नहीं है।
👉 नीति की आवश्यकता: कोर्ट का मानना है कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक स्थायी नीति की आवश्यकता है, ताकि अदालतों को यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट निर्देश मिल सकें कि विदेशी आरोपी देश से भाग न सकें।6 यह कदम न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए महत्वपूर्ण है।