
SC बिहार में Special Intensive Revision – (SIR) को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई करेगा।
इस पुनरीक्षण का उद्देश्य अयोग्य नामों को हटाकर स्वच्छ मतदाता सूची सुनिश्चित करना है।
चुनाव आयोग का दावा है कि इस प्रक्रिया में प्रमुख राजनीतिक दल और 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंट शामिल थे।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कदम 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले व्यापक मतदाता मताधिकार से वंचित होने का कारण बन सकता है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चुनाव वाले राज्य में इतने कम समय में इतने बड़े अभ्यास का कोई वैध कारण नहीं था।
कोर्ट ने पहले चुनाव आयोग से सत्यापन के लिए आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार करने पर विचार करने के लिए कहा था।
कोर्ट द्वारा तय किए गए प्रमुख मुद्दों में चुनाव आयोग की SIR का आदेश देने की शक्ति, इसकी प्रक्रिया की वैधता और चुनावों से पहले पुनरीक्षण का समय शामिल है।
@bpscrightwayofficial
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