ऑनलाइन शिक्षा मे चुनौतियो को कम करने के लिए केंद्र सरकार कर रही विचार

केंद्र सरकार ने वर्ष 2026 तक देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग 4.06 करोड़ छात्रों (लगभग 40 प्रतिशत) को लैपटॉप और टैबलेट प्रदान करने की योजना बनाई है तथा इस कार्य के लिये कुल 60,900 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।केंद्र और राज्य उपकरण उपलब्ध कराने की लागत को फिलहाल 60:40 के अनुपात में साझा करेंगे।

लगभग 3.1 लाख सरकारी स्कूलों, जिनके पास सूचना व संचार तकनीक  सुविधाएँ नहीं हैं,  के लिये केंद्र सरकार 55,840 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित करेगी।मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy) के अनुमानानुसार,  बंद हुए स्कूलों को फिर से खोलने के लिये स्वच्छता और क्वारंटाइन उपायों हेतु प्रति स्कूल 1 लाख रुपए तक खर्च करने की आवश्यकता होगी।

ऑनलाइन शिक्षा मे क्या हैं चुनौतियाँ –

  1. भारतीय के अधिकांश शिक्षण संस्थानों को COVID-19 महामारी से पूर्व ऑनलाइन शिक्षा का कोई विशेष अनुभव नहीं रहा है, ऐसे में  व्यवस्था को ऑनलाइन शिक्षा के अनुरूप ढालना और छात्रों को अधिक-से-अधिक शिक्षण सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है ।
  2. भारत में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की बहुत कमी है, अधिकांश  छात्रों  के पास लैपटॉप या टैबलेट कंप्यूटर जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। 
  3. देश के अधिकांश शिक्षक तकनीकी रूप से इतने प्रशिक्षित नहीं है ऑनलाइन कक्षा आयोजित कर सकें और उन्हें ऑनलाइन  अध्ययन सामग्री उपलब्ध करा सकें।
  4. इंटरनेट पर कई विशेष पाठ्यक्रमों या क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़ी अध्ययन सामग्री की कमी होने से छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  5. कई विषयों ऐसे हैं जिसमें छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा (Practical Learning) की आवश्यकता होती है, अतः ऑनलाइन  माध्यम से ऐसे विषयों को सिखाना काफी मुश्किल होता है।

COVID-19 महामारी के कारण देश भर में ऑनलाइन शिक्षा का महत्त्व काफी बढ़ गया है, किंतु सामाजिक असमानता और डिजिटल डिवाइड  ऑनलाइन शिक्षा के समक्ष बड़ी चुनौती बने हुए हैं।लॉकडाउन के प्रभाव ने शिक्षण संस्थाओं को शिक्षण माध्यमों के नए विकल्पों पर विचार करने हेतु विवश कर दिया है।भारत में ई-शिक्षा अपनी शैशवावस्था में है,  इसकी  चुनौतियों को संबोधित कर ई-शिक्षा के रूप में एक नए शिक्षण विकल्प को बढ़ावा दिया जाए।टेलीविज़न और रेडियो कार्यक्रमों के माध्यम से देश के दूरस्थ भागों में  भी  शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित की जा सकती है।

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