केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ‘विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम’ (Foreign Contribution Regulation Act -FCRA) के तहत 6 ‘गैर-सरकारी संस्थाओं’ (Non-Governmental Organizations or NGOs) का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।
- वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जिन 6 NGOs के लाइसेंस रद्द किये गए हैं उनमें से 4 ईसाई संगठन (Christian Associations) हैं।
- इनमें से कई संगठनों के दानकर्त्ताओं के प्रभाव के संदर्भ में चिंताएँ व्यक्त की गई थी।
- इससे पहले वर्ष 2016 में भी एफसीआरए के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण लगभग 20,000 गैर-सरकारी संस्थाओं के लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे।
- ध्यातव्य है कि गैर-सरकारी संस्थाओं को विदेशी चंदा/अंशदान प्राप्त करने के लिये FCRA लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
- वर्तमान में देश में 22,457 NGOs या अन्य संगठन FCRA के तहत पंजीकृत हैं
भारत में गैर सरकारी संगठनों से जुड़ी समस्याएँ:
वर्ष 2015 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा सर्वोच्च न्यायलय को दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में सक्रिय कुल गैर सरकारी संगठनों की संख्या लगभग 31 लाख बताई गई थी।देश में बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठनों के कार्यों और वित्तीय प्रबंधन के संदर्भ में विस्तार का अभाव पाया गया है।
वर्ष 2015 में देश में सक्रिय कुल गैर सरकारी संगठनों में से 10% से भी कम ने ही अपनी बैलेंस शीट और आय-व्यय के साथ जमा करने से संबंधित अनिवार्यताओं को पूरा किया था।
वर्ष 2017 में कई एनजीओ को लगातार 5 साल तक अपने वार्षिक रिटर्न न दाखिल करने के कारण नोटिस जारी किया गया था।
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम’(Foreign Contribution Regulation Act -FCRA):
- किसी विदेशी नागरिक या संस्था द्वारा भारत में किसी NGO या अन्य संस्थाओं को दिये गए अंशदान को विनियमित करने के लिये वर्ष 1976 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम लागू किया गया।
- भारत में कार्यरत NGOs को विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिये FCRA के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है।
- इस अधिनियम के तहत NGOs का FCRA लाइसेंस पाँच वर्ष के लिये वैध होता है।
- FCRA के तहत पंजीकरण के बगैर कोई भी NGO या अन्य संस्थान 25,000 रुपए से अधिक की आर्थिक सहायता या कोई अन्य विदेशी अंशदान नहीं स्वीकार कर सकते।