बिहार में 300 साल पुराने दस्तावेजों को डिजिटल करेगा राजस्व और भूमि सुधार विभाग

राजस्व और भूमि से जुड़े तीन सौ साल पुराने दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन काम जिला स्तर पर अथवा राज्य स्तर पर किया जाये, इसको लेकर सरकार के स्तर पर मंथन किया जा रहा है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस मसले पर भी विचार किया है कि सभी अति महत्वपूर्ण अभिलेखों को डिजिटल फाॅर्म में सुरक्षित रखने का काम केंद्रीकृत तरीके से किया जाये. राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम को पूरा करने के लिए चकबंदी निदेशालय के पैटर्न को ही मानक के रूप में अंगीकार किया गया है. अभिलेखागार निदेशालय की टीम ने अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग विवेक कुमार सिंह के सामने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया है. इसमें जीर्ण-शीर्ण और पुराने अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और संरक्षण की विधि की जानकारी दी गयी.

राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत वर्ष-2014-15 में ही अंचलों में संधारित जमाबंदी पंजी-2 एवं सर्वे खतियान की स्कैनिंग का काम शुरू किया गया था. स्कैनिंग की तकनीक का चयन संबंधित जिलों द्वारा किया गया. एनआइसी और बेल्ट्रान ने इसमें मदद दी गयी थी.

इस काम के लिए अंचलवार एजेंसी का चयन जिला स्तर पर ही किया गया था.बाद में बिहार सरकार ने एक अभियान के तहत पूरे बिहार के पंजी-2 को डिजिटाइज्ड करवाया, जिसके आधार पर ऑनलाइन म्युटेशन, लगान, एलपीसी एवं पंजी-2 में आँनलाइन सुधार (परिमार्जन) जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं. अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह के आदेश पर चकबंदी निदेशालय द्वारा चकबंदी न्यायालयों, चक की पंजी, खतियान आदि का डिजिटाइजेशन एवं स्कैनिंग को टेंडर निकाला जा चुका है.

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