बिहार सरकार करेगी अपनी मछलियों की ब्रांडिंग

बिहार में पाई जानेवली की विभिन्न प्रजातियों की मछली (Fish) की अब बड़े पैमाने पर ब्रांडिंग होगी. इन मछलियों की गुणवत्ता से अबलोगों को अवगत कराया जाएगा. इतना ही नहीं इन मछलियों के आस-पड़ोस के राज्यों में मांग के हिसाब से आपूर्ति (Delivery) भी की जाएगी. दरअसल मछली की बढ़ती हुए मांग को देखते हुए ही सरकार ने ब्रांडिंग (Fish Branding) का फैसला किया है. ब्रांडिंग से मछलियों की खपत बढ़ेगी. खपत बढ़ने से राज्य में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि  इस कारोबार से जुड़े लोगों की आमदनी  में भी भारी बढ़ोतरी होगी. बिहार सरकार ब्रांडिंग और उत्पादन बढ़ाने के तौर-तरीके पर गहनता से  विचार कर रही है. इसके लिए कार्य योजना पर काम भी शुरू कर दी गई है.

इन मछलियों की होनी है ब्रांडिंग

राज्य में पाई जानेवली जिन मछलियों की ब्रांडिंग की जानी है उनमें गंगा नदी की बचवा, कोसी की मोई, दरभंगा जिले की रोहू और कतला, कुशेश्वरस्थान की भूना मछली और सोन की रोहू  का नाम शामिल है. इन मछलियों की मांग पड़ोसी राज्य झारखण्ड समेत पश्चिम बंगाल और असम समेत आसपास के राज्यों में बहुत ही ज्यादा है. वास्तविकता तो यह है कि इन मछलियों के कारण भी बिहार की पहचान इन राज्यों मे बनी है.

कई राज्यों में होगा निर्यात

ब्रांडिंग के बाद इन प्रजातियों की मछलियों का उत्पादन बढ़ता है तो उसे महाराष्ट्र, बंगाल, झारखंड ,उड़ीसा असम, तेलंगाना से लेकर महाराष्ट्र तक भेजने की योजना है. वैसे समुद्र तटीय प्रदेशों में बिहार में होने वाली स्वादिष्ट मछलियों की काफी मांग है. बिहार की नदियों औऱ तालाबों में पानी अपेक्षाकृत मीठे पाये जाते हैं. नेपाल में भी दरभंगा और कोसी की मछलियों की खासी खपत है. अभी यहां की मछलियां  नेपाल, अमृतसर, बनारस, सिलीगुड़ी, गोरखपुर, रांची, गोड्डा, देवरिया आदि स्थानों में बिकने के लिए जा रही हैं. बिहार सरकार के कृषि पशुपालन विभाग की योजना है कि इन प्रसिद्ध प्रजाति की मछलियों के ब्रीड का भी विकास किया जाए. उन्हें संरक्षित कर अन्य स्थानों में भी मीठे जल में उत्पादन किया जाएगा. इन प्रजाति की मछलियों के बीज दूसरे राज्य में भी भेजे जाएंगे. उनकी भी बिक्री की जाएगी.

40 लाख परिवार हैं आश्रित

बिहार में मछली के कारोबार पर करीब 40 लाख लोग आश्रित हैं. मछलियों के उत्पादन उनकी ब्रीडिंग से इन सभीब लोगों को सीधा लाभ होगा। सोन नदी में डेढ़ लाख , गंगा नदी में 7.50 लाख,  कोसी और दरभंगा में 18 लाख लोग इन प्रसिद्ध प्रजातियों की मछलियों के उत्पादन से जुड़े हुए हैं.

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