पिछले पांच सालों में विदेशों से हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आई है। स्टॉकहोम के रक्षा थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सिपरी (Stockholm International Peace Research Institute, Sipri) की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2011-15 और 2016-20 के बीच हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आई है और इसका सबसे ज्यादा असर रूस पर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की जटिल खरीद प्रक्रिया और रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करने की कोशिशों के तहत भारतीय हथियार आयात में कमी आई है।
विगत पिछले कुछ वर्षों में भारत ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके। सऊदी अरब के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बना हुआ है।
भारत के बाद मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन का स्थान है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन द्वारा हथियारों के निर्यात में 2016-20 के दौरान 7.8 फीसदी की कमी आई है।
चीनी हथियारों के बड़े खरीदारों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया थे। पाकिस्तान अपने हथियार आयात का 61 फीसदी हिस्सा चीन से लेता है।
वर्ष 2016-20 में पांच सबसे बड़े हथियार निर्यातक अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी और चीन थे, जबकि शीर्ष आयातक सऊदी अरब, भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन थे।
सिपरी के अनुसार, 2016-20 के दौरान वैश्विक हथियारों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.2% की थी, जिससे यह देश दुनिया का 24 वां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया।