वित्तीय बाज़ार में तरलता बढ़ाने के लिए कई मौद्रिक नीति उपायों की घोषणा

हाल ही में ‘भारतीय रिजर्व बैंक’  द्वारा वित्तीय बाज़ार में तरलता बढ़ाने के लिए कई मौद्रिक नीति उपायों की घोषणा की गई है।

विशेष खुला बाज़ार परिचालन- आरबीआई द्वारा ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’  के तहत 20,000 करोड़ रुपए की राशि ‘विशेष’ खुले बाजार परिचालन ‘(ओएमओ) के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) की खरीद और बिक्री की जाएगी।ऑपरेशन ट्विस्ट’ के अंतर्गत केंद्रीय बैंक दीर्घ अवधि के सरकारी ऋण पत्रों को खरीदने के लिये अल्पकालिक प्रतिभूतियों की बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग करता है, जिससे लंबी अवधि के ऋणपत्रों पर ब्याज दरों के निर्धारण में आसानी होती है।

आरबीआई सितंबर के मध्य में फ्लोटिंग दरों पर (प्रचलित रेपो दर पर) 1 लाख करोड़ रुपए की कुल राशि के लिये ‘आवधिक रेपो परिचालन’ का भी आयोजन करेगा। बैंक, जिसने पहले LTRO  के तहत 5.15 प्रतिशत की दर पर आरबीआई से  उधार लिया था, वे इसे लौटाकर मौजूदा रेपो दर पर अर्थात 4 प्रतिशत की दर पर से उधार ले सकते हैं।LTRO एक ऐसा उपकरण है जिसके तहत केंद्रीय बैंक प्रचलित रेपो दर पर बैंकों को एक से तीन वर्ष की अवधि के लिये ऋण प्रदान करता है तथा कोलेटरल के रूप में सरकारी प्रतिभूतियों को लंबी अवधि के लिये स्वीकार करेगा।

परिपक्वता तक स्वामित्व रखने के लिये हेल्ड-टू-मेच्योरिटी (HTM) प्रतिभूतियों को खरीदा जाता है। उदाहरण के लिये एक कंपनी का प्रबंधन उस बॉण्ड में निवेश कर सकता है जिसे वे परिपक्वता पर रखने की योजना बनाते हैं।बैंक 1, सितंबर 2020 से अपने नव सरकार प्रतिभूतियों (जी-सेक) के अधिग्रहण को करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।
वर्तमान में बैंकों को अपनी ‘शुद्ध मांग और समय देयता’ (शुद्ध मांग और समय देयता- NDTL) का 18 प्रतिशत या ‘वैधानिक तरलता अनुपात’ (सरकारी प्रतिभूति और राज्य विकास ऋण सहित) के तहत बनाए रखना होता है। ।

मौद्रिक नीति उपायों के माध्यम से आरबीआई ने अर्थव्यवस्था में अधिक तरलता लाने और वित्तपोषण की स्थिति सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जो भारत की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था में निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने के दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

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