सम्राट अशोक

अशोक (273 -232 ई. पू. )

अशोक विंबसार का पुत्र था। अशोक को आमतौर पर उनके शिलालेखों में देवनामप्रिय के रूप में संदर्भित किया जाता है। भब्रू के शिलालेख में उन्हें प्रियदर्शी कहा जाता है, जबकि मास्की में इसे बुद्धशाक्य कहा जाता है। उसका नाम अशोक मस्की, गुर्जरा, निट्टुर और उदघेलम शिलालेखों में पाया जाता है। पुराणों में उन्हें अशोकवर्धन कहा गया है। रुद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में भी अशोक का उल्लेख है। दीपवंश में, अशोक स्वयं को उज्जैनी, करमोली और भब्रू लेखा में मगधिराज कहते हैं। जेम्स प्रिंसेप पहली बार 1837 ई. में अशोक के लेखन को पढ़ने में सफल रहे। “अशोक” का नाम भी वर्ष 1915 में मास्की (कर्नाटक) से प्राप्त एक लेख में पढ़ा गया था। सिंहली अनुश्रुतियों -दीपवंश एवं महावंश में देवानांपिय उपाधि अशोक के लिए प्रयुक्त की गई है।

 राज्याभिषेक एवं विजय अभियान

अशोक ने 273 ई. पू. में गद्दी पर बैठा, किन्तु उसका राज्याभिषेक 4 वर्ष बाद 269 ई. पू. में ही हो सका। दिव्यावदान के अनुसार बिन्दुसार ने मरते समय अपने पुत्र सुसीम को राजा बनाना चाहा, लेकिन मंत्री राधागुप्त की सहायता से अशोक शासक बन गया। दीपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या कर दी थी। दिव्यावदान, चीनी ग्रन्थ फयूएन -चुलिन तथा तिब्बती लेखक तारानाथ भी उत्तराधिकारी युध्द का वर्णन करते है।

अशोक ने अपने राज्याभिषेक के आठ साल बाद 9 वें वर्ष (261 ईसा पूर्व) में कलिंग पर विजय प्राप्त की। इसका उल्लेख उनके 13 वें शिलालेख में मिलता है। हाथीगुम्फा शिलालेख से पता चलता है कि विजय के दौरान कलिंग का राजा शायद नंदीवर्धन था।

अशोक का धम्म

अशोक के धम्म की परिभाषा राहुलोवदत्त से ली गई है। धम्म शब्द संस्कृत भाषा का धर्म प्राकृत अनुकूलन है। अशोक के धम्म को किसी देवता की पूजा या किसी अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं थी। अशोक की धम्म नीति का मुख्य सिध्दांत आत्म-नियंत्रण था। कई समस्याएं थीं, जिनके लिए उनमें संवेदना था, साम्राज्य में विभिन्न धर्मों का पालन करने वाले लोग थे, जो अक्सर संघर्ष का कारण बनते थे। जानवरों की बलि दी जाती थी। दासों और सेवकों के साथ क्रूर व्यवहार किया जाता था। परिवार में और पड़ोसियों के बीच भी संघर्ष होते हैं, इन समस्याओं को हल करने के लिए, उन्होंने धम्म महामात्र नामक एक अधिकारी को नियुक्त किया, जो धम्म सिखाने के लिए जगह-जगह गए।

अशोक के अभिलेख

अशोक के शिलालेख राज्यादेश के रूप में जारी किए गए हैं। वह पहले शासक थे जिन्होंने शिलालेखों के माध्यम से जनता को संबोधित किया। अभी तक अशोक के 47 से अधिक स्थलों पर अभिलेख प्राप्त हुए है, जिनकी संख्या 150 से ज्यादा है। अशोक के शिलालेख मुख्य राजमार्गों के किनारे स्थापित किए गए थे। लगभग सभी शिलालेख “प्राकृत भाषा और ब्राह्री लिपि में हैं। उत्तर-पश्चिम के शिलालेखों में खरोष्ठी और अरमाइक लिपियों का उपयोग किया गया है। अफगानिस्तान में इसकी भाषा अरमाइक और यूनानी दोनों हैं। अभिलेखों में उसके राज्याभिषेक के 8 वें वर्ष से 21 वें वर्ष तक की घटनाए वर्णित है।

अशोक के चौदह वृहद् शिलालेख

पहला पशुबलि की निन्दा
दूसरा मनुष्यों और जानवरों दोनों की चिकित्सा प्रणाली का उल्लेख। चोल पांडेय सत्तियपुत्र और केरलपुत्र की चर्चा।
तीसरा राजकीय अधिकारीयों (युक्त, रज्जुक और प्रादेशिक ) को हर पांचवें वर्ष दौरा करने का आदेश।
चौथा भेरीघोष की जगह धम्मघोष की घोषणा।
पांचवा धम्म-महामात्रों की नियुक्ति के बारे में जानकारी।
छठा प्रतिवेदक की चर्चा।
सातवां सभी सम्प्रदायों के लिए सहिष्णुता की बता ।
आठवां सम्राट के धर्मयात्राओं का उल्लेख। बोधि वृक्ष की भ्रमण का उल्लेख।
नौवां विभिन्न प्रकार के समारोहों की निन्दा।
दसवां ख्याति एवं गौरव की निन्दा तथा धम्म निति की श्रेष्ठता पर बल।
ग्यारहवां धम्म निति की व्याख्या।
बारहवां सर्वधर्म समभाव एवं स्त्री महामात्र की चर्चा ।
तेरहवां कलिंग युध्द का वर्णन परोसी राज्यों का वर्णन अपराध करने वाली आटविक जातियों का उल्लेख।
चौदहवां अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया।

          परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

  • राजतरंगिणी,के अनुसार अशोक ने कश्मीर में श्रीनगर तथा नेपाल में देवपाटन नामक नगर बसाया।
  • अशोक पहले ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था।
  • राजतरंगिणी के अनुसार अशोक शैव धर्म का अनुयायी था।
  • 1750 ई. में सर्वेप्रथम टिपेंन्थेलर नामक विद्वान ने अशोक के शिलालेख का पता लगाया।
  • बौद्ध ग्रंथो में अशोक की माता का नाम धम्मा,पासादिका,तथा सुभद्रांगी मिलता है।
  • बौद्ध ग्रन्थ में अशोक की पत्नी असंधिमित्रा,महादेवी,पद्मावती,तथा तिष्यरक्षिता जबकि दो पुत्रिया संघमित्रा एवं चारुमति तथा दो पुत्र कुणाल एवं महेंद्र का उल्लेख मिलता है।
  • 1837 ई.में जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि को पढ़ा।
  • अशोक का स्तम्भ प्राकृत भाषा में लिखी गयी है।
  • अशोक का इलाहाबाद अभिलेख अकबर के शासनकाल में जहांगीर ने कौशाम्बी से इलाहाबाद के किले में रखवा दिया। इस अभिलेख को ‘रानी का अभिलेख’ कहा जाता है।

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