भारत और जर्मनी ने अंतरिक्ष सहयोग और व्यापार पर की चर्चा

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और उनके जर्मन समकक्ष, जोहान डेविड वेडेफुल ने आज नई दिल्ली में भारत-जर्मनी सहयोग और यूरोपीय संघ के साथ संबंधों पर गहन चर्चा की।2 दोनों नेताओं ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे सुरक्षा, जलवायु, और भविष्य की तकनीकों पर विचार-विमर्श किया।3

यहाँ बैठक के प्रमुख बिंदुओं की जानकारी दी गई है:

👉 संबधों का विस्तार: दोनों देशों ने राजनीतिक सहयोग, सुरक्षा, रक्षा, जलवायु परिवर्तन, और लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

👉 आतंकवाद पर एकजुटता: डॉ. जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में जर्मनी के समर्थन की सराहना की। जर्मन विदेश मंत्री वेडेफुल ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का खुलकर समर्थन किया।

👉 व्यापार और अर्थव्यवस्था: दोनों देशों के बीच पिछले साल द्विपक्षीय व्यापार 50 बिलियन यूरो के करीब पहुंच गया।4 वेडेफुल को उम्मीद है कि इस व्यापार मात्रा को दोगुना किया जा सकता है। जयशंकर ने भारत में व्यापार करने में सुगमता (ease of doing business) को लगातार बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।5

👉 विज्ञान और प्रौद्योगिकी: दोनों देशों ने 50 साल के वैज्ञानिक सहयोग का जश्न मनाया और इस साझेदारी को उद्योग के साथ और अधिक जोड़ने पर जोर दिया।6 अंतरिक्ष सहयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई।

👉 छात्र विनिमय: छात्रों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए, दोनों देशों ने छोटे स्कूल और कॉलेज के दौरों के लिए मुफ्त वीजा (gratis visas) पर सहमति व्यक्त की।7

👉 बहुध्रुवीय विश्व का महत्व: डॉ. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि रणनीतिक स्वायत्तता वाला एक बहुध्रुवीय विश्व आज की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सबसे उपयुक्त है।

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👉 जर्मनी की प्रशंसा: जर्मन विदेश मंत्री ने भारत को एक “अभिनव शक्तिगृह (innovative powerhouse)” और “प्रौद्योगिकी केंद्र (technology centre)” बताया।8 उन्होंने कहा कि भारत एक बढ़ती हुई आर्थिक शक्ति और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के कारण एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में विशेष महत्व रखता है।

👉 यूरोपीय संघ के साथ संबंध: डॉ. जयशंकर ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को गहरा करने और मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) की बातचीत को तेज करने के लिए जर्मनी से समर्थन मांगा।

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