महासागरीय गर्त

महासागरीय गर्त

महासागरीय गर्त (oceanic deeps) महासागरों के सबसे गहरे भाग हैं। यह समुद्र के लगभग 7% हिस्से को कवर करता है, उनकी ढालें खड़ी होती हैं। उनकी स्थिति अक्सर तट के द्वारा मेखला के सामने पाई जाती है। द्वीपों पर गहरे कुंड भी दिखाई देते हैं। आकार के अनुसार, कम क्षेत्रफल वाले किन्तु अधिक गहरे खड्ड को गर्त (deeps) कहते है, जबकि लम्बे खड्ड को खाई (treanch ) कहते है।

     ये ज्यादातर ज्वालामुखी और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में पाए जाते हैं, और माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति भूगर्भीय प्रक्रियाओं के कारण हुई है। इन गर्तों में निक्षेप जमाव के नाम पर आकाशीय धूल और ज्वालामुखी की राख पाई जाती है। मारियाना ट्रेंच दुनिया की सबसे गहरी खाई है।

विश्व के प्रमुख महासागरीय गर्त

गर्त का नाम अधिकतम गहराई (मीटर में) महासागर
मेरियाना (गुआम द्वीप )11,o22उत्तरी प्रशांत महासागर
टोंगा (समोआ द्वीप )10,880दक्षिणी प्रशांत महासागर
मिंडानाओ अथवा फिलीपींस10,475उत्तरी प्रशांत महासागर
प्यूर्टोरिको8,605उत्तरी अटलांटिक महासागर  
दक्षिणी सैन्डविच अथवा रॉक8,325दक्षिणी अटलांटिक महासागर 
जावा अथवा सुण्डा7,725हिन्द महासागर
पेरू – चिली अथवा अटाकामा7,635दक्षिणी प्रशांत महासागर
एल्यूशियन7,600उत्तरी प्रशांत महासागर

सागरीय कटक

सागरीय कटक, दुनिया के हर समुद्र में पाया जाने वाला एक जलमग्न (under water) पर्वत श्रृंखला होता है। इसका निर्माण स्थलमण्डल के दो अपसारी (diverging) प्लेटो के बीच मैग्मा के ठण्डा होने तथा उससे भूपर्पटी की नयी परत बनने से होती है। अटलांटिक महासागर में मध्य – महासागरीय कटक (mid -Oceanic ridge) सबसे बड़ा कटक है। सागरीय कटकों के अक्ष पर एक भ्रंश घाटी होती है। अपनी पूरी लम्बाई के दौरान सागरीय कटक बहुत से भ्रंशों द्वारा विस्थापित होते है। इन्हें ही रूपातरित भ्रंश कहते है, इन्हीं रूपातरित भ्रंशों के सहारे भूकंप उत्पन्न होते है। ये कटक तीव्र या मन्द ढाल के होते है।

सागरीय पर्वत एवं गायोट

समुद्री नितल से ऊँचे भाग को उच्च समुद्री-पर्वत कहा जाता है। उनकी चौड़ाई लगभग 2100 किमी है और ऊँचाई महासागरीय नितल से लगभग 1000 मीटर है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे समुद्र के पानी से निकला एक द्वीप। हवाई द्वीप और आजोर्स द्वीप इसके उदाहरण हैं। इसी तरह, गायोट (guyot) भी महासागरीय पर्वत हैं, लेकिन उनकी चोटी सपाट होती है।

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