स्वास्थ्य मंत्रालय ‘नई दवाएं और नैदानिक परीक्षण नियम’ में करेगा संशोधन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘नई दवाएं और नैदानिक परीक्षण नियम, 2019’ में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य नियामक अनुपालन को कम करना और फार्मास्युटिकल व नैदानिक अनुसंधान क्षेत्रों में ‘व्यापार करने में आसानी’ (ease of doing business) को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित संशोधनों को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए भारत के राजपत्र (Gazette of India) में प्रकाशित किया गया है।

यहाँ इस संशोधन से जुड़े कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

👉 प्रक्रिया का सरलीकरण: जैव उपलब्धता (Bioavailability) और जैव समानता (Bioequivalence) अध्ययनों से संबंधित आवेदनों और परीक्षण लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

👉 लाइसेंस की जगह अधिसूचना: वर्तमान में चल रहे परीक्षण लाइसेंस प्रणाली को बदलकर अब एक अधिसूचना और सूचना प्रणाली (notification and intimation system) में परिवर्तित किया जाएगा। इससे आवेदकों को लाइसेंस के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि उन्हें केवल केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण (Central Licensing Authority) को सूचित करना होगा।

👉 समय की बचत: परीक्षण लाइसेंस आवेदनों के लिए वैधानिक प्रसंस्करण समय को 90 दिनों से घटाकर 45 दिन किया जाएगा। इससे हितधारकों (stakeholders) को काफी लाभ होने की उम्मीद है।

👉 लाइसेंस आवेदनों में कमी: इन संशोधनों से लाइसेंस आवेदनों की संख्या में लगभग 50% की कमी आने की संभावना है।

👉 भारत की स्थिति मजबूत होगी: मंत्रालय का मानना है कि ये कदम भारत को नैदानिक अनुसंधान के लिए और अधिक आकर्षक बनाएंगे, जिससे भारत एक वैश्विक फार्मास्युटिकल अनुसंधान और विकास केंद्र के रूप में मजबूत होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *