👉ऐतिहासिक पहल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर, 2025 को असम के गोलाघाट ज़िले में देश की पहली बांस-आधारित बायोरिफाइनरी का उद्घाटन करेंगे।
👉हरित ऊर्जा को बढ़ावा: यह परियोजना भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए एक बड़ा कदम है और पूर्वोत्तर भारत को हरित औद्योगिक विकास का केंद्र बनाएगी।
👉बड़ा निवेश: इस परियोजना में ₹1700 करोड़ से ज़्यादा का निवेश किया गया है और इसे फ़िनलैंड की कंपनी चेमपॉलिस ओई के सहयोग से विकसित किया गया है।
👉उत्पादन क्षमता: यह रिफाइनरी हर साल 3 लाख मीट्रिक टन बांस का प्रसंस्करण करेगी।
👉मुख्य उत्पाद: इसमें बांस से एथेनॉल, फर्फ्यूरल और एसिटिक एसिड का उत्पादन किया जाएगा।
👉आर्थिक लाभ: यह परियोजना किसानों और छोटे उद्यमियों को स्थायी आय का स्रोत देगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
👉लक्ष्य में सहायक: यह बायोरिफाइनरी भारत के 2030 तक 20% एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।