
👉 स्थल का नाम: कोटड़ा भादली (Kothada Bhadli)।
👉 स्थान: कच्छ, गुजरात।
👉 खोज का महत्व: इसे 4,000 साल पुरानी हड़प्पा बस्ती के रूप में पहचाना गया है, जो सबसे प्राचीन ज्ञात कारवां सराय (Caravan Sarai) है।
👉 सराय का स्वरूप: यह एक किलाबंद ग्रामीण पड़ाव (Fortified Rural Outpost) था।
👉 समय अवधि: यह स्थल 2300 और 1900 ईसा पूर्व के बीच सक्रिय था।
👉 कार्य/उद्देश्य: लंबी दूरी के व्यापार को समर्थन देना। कांस्य युग के व्यापारी यहाँ रुकते थे।
👉 सराय में उपलब्ध सुविधाएँ: सड़क किनारे सुव्यवस्थित सुविधाएँ थीं, जिनमें आश्रय, भोजन, सुरक्षा और सामान ढोने वाले जानवरों के लिए अस्तबल (Stables) उपलब्ध थे।
👉 अध्ययन: यह खोज एक नए बहु-विषयक अध्ययन पर आधारित है, जो L’Anthropologie (एल्सेवियर, 2025) में प्रकाशित हुआ है।
👉 अध्ययन में शामिल संस्थान: * डेक्कन कॉलेज पोस्ट-ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे। * सिम्बायोसिस स्कूल फॉर लिबरल आर्ट्स। * भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), नई दिल्ली।
👉 ऐतिहासिक निहितार्थ: यह खोज उपमहाद्वीप में संगठित व्यापारिक बुनियादी ढाँचे की उत्पत्ति को 2,000 वर्ष से भी अधिक पीछे धकेलती है।
👉 हड़प्पावासियों की क्षमता: यह दर्शाता है कि हड़प्पावासियों ने न केवल शहरी नियोजन और समुद्री व्यापार विकसित किया था, बल्कि किलेबंद विश्राम स्थलों, पशु आश्रयों और खाद्य आपूर्ति केंद्रों के साथ व्यवस्थित भूमि-आधारित रसद (Organized Land-based Logistics) भी विकसित की थी।
👉 उत्खनन और तकनीक: * उत्खनन डेक्कन कॉलेज ने गुजरात राज्य पुरातत्त्व विभाग के सहयोग से 2010 और 2013 के बीच किया था। * अब उन्नत तकनीकों का उपयोग करके पुनर्व्याख्या की गई है, जिनमें भू-भेदी रडार, चुंबकीय और उपग्रह सर्वेक्षण, समस्थानिक और लिपिड विश्लेषण और तीन प्रकार के काल निर्धारण (Dating) शामिल हैं।
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