भारत ने रिंडरपेस्ट वायरस (Rinderpest virus) के रोकथाम के लिए एलीट ग्लोबल ग्रुप (elite global group) में शामिल हुआ

भारत ने वैश्विक पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जब भोपाल स्थित आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा श्रेणी ए रिंडरपेस्ट होल्डिंग फैसिलिटी (आरएचएफ) के रूप में मान्यता दी गई।

यह घोषणा 29 मई, 2025 को पेरिस में आयोजित डब्ल्यूओएएच के 92वें सत्र के दौरान की गई, जहां मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव और भारत की डब्ल्यूओएएच प्रतिनिधि सुश्री अलका उपाध्याय को डब्ल्यूओएएच के महानिदेशक और अध्यक्ष द्वारा औपचारिक रूप से प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।

रिंडरपेस्ट, जिसे कभी “मवेशी प्लेग” के नाम से जाना जाता था, वर्ष 2011 में इसके वैश्विक उन्मूलन से पहले इतिहास में सबसे विनाशकारी पशुधन रोगों में से एक था। हालांकि रिंडरपेस्ट वायरस-युक्त सामग्री (आरवीसीएम) अभी भी कुछ प्रयोगशालाओं में है, जो जोखिम पैदा करता है।

बीमारी से वैश्विक मुक्ति को बनाए रखने के लिए एफएओ और डब्ल्यूओएएच ने आरवीसीएम के भंडारण को दुनिया भर में कुछ उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं तक सीमित करने के लिए सख्त उपाय लागू किए हैं। इस वैश्विक पहल के अनुरूप, भारत ने 2012 में आईसीएआर-एनआईएचएडी, एक उच्च-नियंत्रण बीएसएसल-3 सुविधा और एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए डब्ल्यूओएएच संदर्भ प्रयोगशाला को आरवीसीएम के लिए अपने राष्ट्रीय भंडार के रूप में नामित किया था।

 

भारत ने औपचारिक रूप से 2019 में आरएचएफ के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत किया। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि वैश्विक पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस प्रकार, यह हमें शिक्षा और जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है, ताकि हम सभी मिलकर इस दिशा में आगे बढ़ सकें।

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