
चर्चा में क्यों?
👉 अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने अपनी नवीनतम प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की वैश्विक समीक्षा में कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को “गुड” (Good) रैंक प्रदान की है।
👉 “गुड” रैंक का अर्थ है कि इस उद्यान की संरक्षण की स्थिति (Conservation Status) अच्छी है, जो भारत के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
प्रमुख बिंदु
👉 अद्वितीय उपलब्धि: कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान IUCN से यह उच्च रैंकिंग प्राप्त करने वाला एकमात्र भारतीय उद्यान है।
👉 तुलना: इसके विपरीत, पश्चिमी घाट और सुंदरबन जैसे भारत के अन्य महत्वपूर्ण प्राकृतिक क्षेत्रों को समीक्षा में गंभीर चिंताओं का सामना करना पड़ा है।
👉 यूनेस्को दर्जा: आधिकारिक रूप से कंचनजंगा बायोस्फीयर रिजर्व के नाम से प्रसिद्ध यह स्थल, भारत का पहला “मिश्रित” यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यह मान्यता इसे 2016 में प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व दोनों के संयोजन के लिए दी गई थी।
👉 भौगोलिक महत्व: यह 1,784 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहीं पर विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा (8,586 मीटर) स्थित है।
👉 पारिस्थितिक समृद्धि: इस उद्यान में 280 ग्लेशियर, 70 से अधिक ग्लेशियल झीलें, हिम तेंदुए, लाल पांडा, और 550 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ (जैसे इम्पेयन तीतर) सहित वन्य जीवन की समृद्ध विविधता मौजूद है। 👉 सांस्कृतिक मूल्य: लेप्चा जनजाति इसे मायेल ल्यांग (पवित्र भूमि) मानती है, जबकि तिब्बती बौद्ध इसे पवित्र घाटी मानते हैं। थोलुंग जैसे प्राचीन मठ यहाँ की आध्यात्मिक परंपराओं को सुरक्षित रखते हैं।
👉 संरक्षण विस्तार: 2018 में बायोस्फीयर रिजर्व का विस्तार किया गया ताकि मुख्य संरक्षित क्षेत्रों को बफर ज़ोन से जोड़ा जा सके, जहाँ ग्रामीण टिकाऊ खेती और कटाई करते हैं, जो प्रकृति और समुदाय के सामंजस्य को दर्शाता है।
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