दवाओं के सुरक्षित उपयोग और संदिग्ध दुष्प्रभावों की रिपोर्टिंग पर ज़ोर (Emphasis on safe use of medicines and reporting of suspected side effects)

Emphasis on safe use of medicines and reporting of suspected side effects

चर्चा में क्यों?

👉 भारत, अपने फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम (PPI) के राष्ट्रीय समन्वय केंद्र (NCC-PPI) के माध्यम से, ग्लोबल मेडसेफ्टीवीक अभियान में शामिल हुआ, जिसका उद्देश्य दवाओं के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देना और उनके संदिग्ध दुष्प्रभावों की रिपोर्टिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

मुख्य बिंदु:

👉 भागीदारी: भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) का राष्ट्रीय समन्वय केंद्र (NCC-PPI) दुनिया भर के 130 साझेदार संगठनों के साथ इस अभियान में शामिल हुआ।

👉 आयोजन की अवधि: यह अभियान 3-9 नवंबर, 2025 तक आयोजित किया गया था, जो इसका दसवां ग्लोबल मेडसेफ्टीवीक था।

👉 उद्देश्य: इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जनता को यह बताना है कि दवाओं के संदिग्ध दुष्प्रभावों की सूचना क्यों, कैसे और कहां दी जानी चाहिए।

👉 ऐतिहासिक महत्व: * इस अभियान को पहली बार 2016 में शुरू किया गया था। * इस वर्ष (2025) यह अपनी दसवीं वर्षगांठ मना रहा था और यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था। * इसमें 117 देशों के 130 संगठनों ने 60 से अधिक भाषाओं में संदेश साझा किए।

👉 मुख्य संदेश (थीम): इस वर्ष के अभियान का मुख्य संदेश था: > “दवाओं की सुरक्षा में सभी की भूमिका है। संदिग्ध दुष्प्रभावों की सूचना देकर, आप और मैं दवाओं को सभी के लिए सुरक्षित बनाने में मदद कर सकते हैं।”

👉 पहल का लक्ष्य: इस पहल का उद्देश्य रोगियों, उनके परिवारों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के बीच दवाओं के संदिग्ध दुष्प्रभावों की रिपोर्टिंग के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

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