
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की सिग्नल कॉर्प्स की अधिकारी, उन अग्रणी महिलाओं में से हैं जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिला नेतृत्व के नए मानक स्थापित किए हैं। वे ‘Exercise Force 18‘ में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं। यह अभ्यास भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था, जिसमें आसियान देशों की भागीदारी थी और उद्देश्य था शांति स्थापना में सहयोग और अंतर-संचालन।
Colonel Qureshi’s International Experience
कर्नल कुरैशी का अंतर्राष्ट्रीय अनुभव भी अत्यंत उल्लेखनीय रहा है। वर्ष 2006 में, उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी। वहाँ उनकी ज़िम्मेदारियों में युद्धविराम की निगरानी, मानवीय राहत प्रयासों में सहयोग और संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में स्थायित्व सुनिश्चित करना शामिल था। यह अनुभव न केवल उनकी बहु-आयामी क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि वे वैश्विक स्तर पर प्रभावी नेतृत्व देने में सक्षम हैं।
Historic decision of the Supreme Court and honour of Colonel Sofia Qureshi
वर्ष 2020 में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (PC) देने के पक्ष में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले में न्यायालय ने कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को विशेष रूप से स्वीकार करते हुए महिला अधिकारियों की भूमिका की सराहना की। अदालत ने यह भी कहा कि महिलाओं को स्टाफ असाइनमेंट को छोड़कर सभी कमांड पदों से वंचित करना संविधान के मूल्यों का उल्लंघन है।
Operation Sindoor and Role in National security
7 मई, 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई एक महत्वपूर्ण मीडिया ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मंच साझा किया। इस ब्रीफिंग में बताया गया कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी शिविरों पर मिसाइल हमले किए। इस ऑपरेशन के बाद, कर्नल कुरैशी ने स्पष्ट, सटीक और आत्मविश्वासी ढंग से मीडिया को जानकारी दी, जो उनकी रणनीतिक समझ और पेशेवर दक्षता को दर्शाता है।
Education and early life of Colonel Sofia Qureshi
गुजरात के वडोदरा में 1974 में जन्मीं कर्नल कुरैशी ने 1997 में मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री प्राप्त की। विज्ञान में यह गहरी समझ, संचार और तकनीकी क्षेत्रों में उनके सेना के कार्य में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई।
कर्नल सोफिया कुरैशी न केवल भारतीय सेना की एक उत्कृष्ट अधिकारी हैं, बल्कि वे प्रेरणा की प्रतीक भी हैं। उनके योगदान से यह स्पष्ट होता है कि महिलाएं भी समान रूप से राष्ट्र की सुरक्षा और वैश्विक शांति में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और कर्नल कुरैशी की उपलब्धियाँ आने वाली पीढ़ी की महिला अधिकारियों को प्रेरित करती रहेंगी।
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