India-EU संघ मुक्त व्यापार समझौता 2025 के अंत तक संभव

India-EU

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-यूरोपीय (India-EU ) संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वर्ष 2025 के अंत तक पूरा किया जा सकता है। ब्रुसेल्स में आयोजित जर्मन मार्शल फंड (GMF) फोरम में “The Financial Times” के ब्यूरो प्रमुख हेनरी फॉय से बातचीत में उन्होंने यह विश्वास जताया कि भारत-ईयू FTA वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि India-EU संघ के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को उच्च प्राथमिकता देता है। इस साझेदारी का मुख्य आधार FTA वार्ता है, जो अब अच्छी प्रगति कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत-ईयू संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें रक्षा, सुरक्षा, मोबिलिटी, प्रतिभा का प्रवाह और शिक्षा जैसे अहम क्षेत्र भी शामिल हैं।

जयशंकर ने बताया कि यूरोपीय आयोग के College of Commissioners द्वारा भारत की सामूहिक यात्रा एक सकारात्मक संकेत है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों पक्ष गहरे सहयोग की दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि मारोस शेफकोविच, EU के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त, के साथ उनकी बातचीत के बाद उन्हें विश्वास है कि FTA वर्ष के अंत तक संपन्न हो सकता है।

उन्होंने भारत की विदेश नीति की विशेषताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत कभी भी किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं रहा है, इसलिए उसकी रणनीतिक सोच स्वतंत्र और संतुलित रहती है। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने की नीति पर काम करता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के विषय में उन्होंने भारत की शांतिपूर्ण समाधान की नीति को दोहराते हुए कहा कि युद्ध से समाधान संभव नहीं है, बल्कि बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। इस विषय पर उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2022 में भारत का यह दृष्टिकोण व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया था, लेकिन आज कई देश इसे मानने लगे हैं।

चीन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंध एक जटिल संरचना हैं, जिसमें कई परतें हैं — सीमाएं, व्यापार, रणनीति और सभ्यतागत संबंध। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ में भी चीन को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण हैं – कुछ देश सख्त रवैया रखते हैं तो कुछ अभी भी लचीले हैं।

 

अंत में, डॉ. जयशंकर ने बताया कि उन्होंने इस सप्ताह ब्रुसेल्स में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास के साथ भारत-ईयू रणनीतिक संवाद में भाग लिया, जो दोनों पक्षों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर था।

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