
20 मई 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जिनेवा में आयोजित 78वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा (World Health Assembly) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों को शुभकामनाएं दीं और इस वर्ष की थीम ‘One World for Health’ को भारत की वैश्विक स्वास्थ्य दृष्टि से सामंजस्यपूर्ण बताया।
World Health Assembly की थीम और प्रमुख बिंदुओं :-
🔹 उन्होंने 2023 में दिए गए अपने भाषण की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने ‘One Earth, One Health’ की अवधारणा प्रस्तुत की थी। उन्होंने कहा कि समावेशन (Inclusion), समेकित दृष्टिकोण और सहयोग के बिना वैश्विक स्वास्थ्य संभव नहीं।
🔹 आयुष्मान भारत योजना को दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना बताते हुए उन्होंने बताया कि यह योजना 580 मिलियन (58 करोड़) लोगों को कवर करती है और हाल ही में इसे 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों तक विस्तारित किया गया है।
🔹 देशभर के हजारों हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स की भूमिका को रेखांकित किया गया, जो कैंसर, मधुमेह, और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों की प्रारंभिक जांच में सहायक हैं। प्रधानमंत्री ने जन औषधि केंद्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि ये केंद्र उच्च गुणवत्ता की दवाइयाँ बेहद कम दामों पर उपलब्ध कराते हैं।
🔹 भारत के डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण की ट्रैकिंग, डिजिटल हेल्थ आईडी, और इंटीग्रेटेड इंश्योरेंस व हेल्थ रिकॉर्ड्स के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं।
🔹 टेलीमेडिसिन सेवाएं, जिनसे 34 करोड़ से अधिक परामर्श अब तक हो चुके हैं, यह सुनिश्चित कर रही हैं कि कोई भी व्यक्ति डॉक्टर से दूर नहीं।
🔹 भारत में व्यक्तिगत खर्च में कमी और सरकारी स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि को उन्होंने स्वास्थ्य सुधारों की सफलता का संकेत बताया।
🔹 उन्होंने विशेष रूप से ग्लोबल साउथ (Global South) की स्वास्थ्य चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत का मॉडल प्रभावी, दोहराने योग्य (replicable), और टिकाऊ (sustainable) है तथा भारत इसे अन्य देशों के साथ साझा करने को तैयार है।
🔹 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की ओर इशारा करते हुए उन्होंने सभी देशों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और इस वर्ष की थीम ‘Yoga for One Earth, One Health’ को रेखांकित किया।
🔹 प्रधानमंत्री ने INB संधि (Pandemic Treaty) पर सफल वार्ता के लिए WHO और सभी सदस्य देशों को बधाई दी और इसे भविष्य की महामारियों से लड़ने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
🔹 अपने संबोधन के अंत में, प्रधानमंत्री ने वेदों की एक प्राचीन प्रार्थना का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के ऋषि हजारों साल पहले भी “सभी स्वस्थ हों, सभी सुखी हों” की कल्पना करते थे और यही भावना आज विश्व को एकजुट करने का माध्यम बन सकती है।
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