
केंद्र सरकार ने क्रूड पाम ऑयल, क्रूड सोयाबीन ऑयल, और क्रूड सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य खाद्य तेलों (Edible oils) की खुदरा कीमतों को कम करना और घरेलू प्रसंस्करण इकाइयों की सुरक्षा करना है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में एक अधिसूचना 30 मई 2025 को जारी की, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
पहले, इन तीनों कच्चे खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क 20 प्रतिशत था। भारत अपनी घरेलू खाद्य तेल (Domestic edible oil) आवश्यकता का 50 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। 2023-24 तेल विपणन वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान, भारत ने 159.6 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जिसकी कीमत 1.32 लाख करोड़ रुपये थी। परिष्कृत तेल पर मूल सीमा शुल्क 32.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। भारत पाम ऑयल को मलेशिया और इंडोनेशिया से, जबकि सोयाबीन ऑयल को ब्राजील और अर्जेंटीना से आयात करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- सीमा शुल्क में कमी से खाद्य तेलों (Edible oils) की खुदरा कीमतें कम होने की उम्मीद है, जो मुद्रास्फीति नियंत्रण और उपभोक्ता राहत के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत की खाद्य तेल आयात (Edible oil import) पर निर्भरता आयात नीति, वैश्विक व्यापार, और विदेशी मुद्रा भंडार से संबंधित सवालों के लिए प्रासंगिक है।
- पाम ऑयल और सोयाबीन ऑयल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश (मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना) अंतरराष्ट्रीय व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।
- यह निर्णय घरेलू प्रसंस्करण उद्योग को समर्थन देता है, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप है।
- वित्त मंत्रालय की अधिसूचना और सीमा शुल्क नीतियां आर्थिक नीति और बजट से संबंधित प्रश्नों के लिए उपयोगी हैं।
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