
सार्क वीजा छूट योजना का परिचय
सार्क वीजा छूट योजना (SVES) का आरंभ 1992 में हुआ, जिसमें इसका मुख्य उद्देश्य सार्क देशों के गणमान्य व्यक्तियों को विशेष यात्रा दस्तावेज प्रदान करना है। इस योजना के माध्यम से, व्यक्तियों को क्षेत्र के भीतर यात्रा करते समय वीज़ा से छूट मिलती है, जिससे वे अधिक सहजता और तेजी से यात्रा कर सकते हैं। यह योजना न केवल यात्रा को सुगम बनाती है, बल्कि इससे क्षेत्रीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने में भी मदद मिलती है।
हालिया घटनाक्रम
हाल ही में, पहलगाम में हुए एक गंभीर आतंकवादी हमले ने इस योजना की स्थिति को प्रभावित किया है। इस हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद, भारत सरकार ने SVES के अंतर्गत पाकिस्तानी नागरिकों के भारत यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 23 अप्रैल 2025 को स्पष्ट किया कि पहले जारी किए गए सभी SVES वीजा अब रद्द माने जाएंगे। इसके साथ ही, भारत में मौजूदा पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
सर्वदलीय बैठक
इन घटनाक्रमों के मद्देनज़र, सरकार ने 24 अप्रैल को पहलगाम हमले पर एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इस बैठक में न केवल सुरक्षा स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा, बल्कि यह भी तय किया जाएगा कि आगे की कार्रवाई किस प्रकार की जानी चाहिए। इसके अलावा, पाकिस्तानी उच्चायोग में भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित किया गया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।
सार्क की भूमिका और सदस्य देश
सार्क संगठन में कुल आठ सदस्य देश हैं: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका। प्रत्येक सदस्य देश द्वारा जारी किए गए वीजा स्टिकर की वैधता सामान्यतः एक वर्ष होती है, जिससे यात्रियों को आवश्यकतानुसार यात्रा करने का अवसर मिलता है।
परस्पर सहयोग और विकास
सार्क देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न इंटर्नशिप कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें शिक्षाविदों को शामिल किया जाता है। इसके अलावा, संघर्ष, पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में विभिन्न योजनाएं पारित की जाती हैं, जो क्षेत्र के गरीबी उन्मूलन के प्रयासों में सहायक होती हैं।
निष्कर्ष
अंततः, सार्क वीजा छूट योजना ने दक्षिण एशिया में यात्रा और सहयोग के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, हालिया घटनाक्रमों ने इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियों को उजागर किया है। सुरक्षा चिंताओं के चलते, क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास अवश्य किए जाने चाहिए, ताकि एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।