
हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व धरोहर दिवस सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित करता है। इस वर्ष की थीम “आपदा और संघर्ष से जोखिम में धरोहर: भविष्य की तैयारी” है, जिसे आईसीओएमओएस (International Council on Monuments and Sites) ने घोषित किया है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे पास जो सांस्कृतिक धरोहर है, उसे सुरक्षित रखना आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसका लाभ उठा सकें। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें शैक्षिक कार्यशालाएँ, सेमिनार, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं, जो लोगों को धरोहर संरक्षण के प्रति जागरूक करते हैं।
इस वर्ष की थीम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्राकृतिक आपदाओं और संघर्षों के कारण धरोहर स्थलों को होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करती है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपनी धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं और भविष्य में संभावित खतरों से कैसे निपट सकते हैं।
विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य न केवल धरोहर स्थलों की सुरक्षा को बढ़ावा देना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सांस्कृतिक विविधता और मानवता की पहचान को संरक्षित किया जाए।