पटना में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष (Unmesh)’ का उद्घाटन

Unmesh

मुख्य बिंदु (Important Points) – परीक्षा के लिए: ‘उन्मेष (Unmesh)’ 

👉 उद्घाटन: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पटना में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष (Unmesh)’ का उद्घाटन किया।

👉 आयोजक: यह महोत्सव साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

👉 राज्यपाल का मुख्य संदेश: राज्यपाल ने साहित्यिक समुदाय से डिजिटल युग में गरिमा और मानवता के लक्ष्य को फिर से हासिल करने का आग्रह किया।

👉 चुनौती पर विचार: राज्यपाल ने कहा कि रोमांच और अवसरों के इस युग में मनुष्य तेजी से आर्थिक लालच का शिकार हो रहा है, जिससे विचारों में मतभेद उत्पन्न हो रहे हैं।

👉 लेखकों से आग्रह: उन्होंने लेखकों, कवियों और विचारकों से “साहित्य के सार्वभौमिक गणराज्य” और एक सच्चे वैश्विक समाज के निर्माण की दिशा में काम करने का आग्रह किया।

👉 प्रतिभागी: महोत्सव में 16 देशों के कला और संस्कृति क्षेत्र के 550 से अधिक साहित्यकार भाग ले रहे हैं।

👉 भाषाओं की भागीदारी: इस कार्यक्रम में 100 से अधिक भाषाओं और बोलियों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

👉 अवधि: यह साहित्यिक महोत्सव 28 सितंबर तक चलेगा।


पटना में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष (Unmesh)’: साहित्य, संस्कृति और मानवता के पुनर्स्थापन का आह्वान

परिचय:

बिहार की राजधानी पटना में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष’ का भव्य उद्घाटन किया गया। साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस महोत्सव ने एक बार फिर साहित्य की सार्वभौमिक शक्ति को रेखांकित किया है। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने महोत्सव का उद्घाटन करते हुए वैश्विक साहित्यिक समुदाय को एक अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश दिया, जो आज के डिजिटल और आर्थिक प्रतिस्पर्धा वाले युग में अत्यधिक प्रासंगिक है। यह महोत्सव न केवल साहित्य के विभिन्न रूपों और भाषाओं का समागम है, बल्कि मानवता और नैतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन का एक मंच भी है।


राज्यपाल का मानवता पर केंद्रित संबोधन:

अपने उद्घाटन भाषण में, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने साहित्यिक समुदाय से विशेष आग्रह किया कि वे डिजिटल युग की चुनौतियों के बीच गरिमा और मानवता के मूलभूत लक्ष्यों को फिर से स्थापित करने की दिशा में कार्य करें। उन्होंने स्वीकार किया कि वर्तमान युग रोमांच, अवसरों और बढ़ती संभावनाओं से भरा हुआ है, परंतु इसी युग में मनुष्य तेज़ी से आर्थिक लालच का शिकार हो रहा है।

राज्यपाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह आर्थिक प्रलोभन और भौतिकवाद की दौड़ हमारे विचारों और समाजों में गहरे मतभेद उत्पन्न कर रही है। उनका मानना था कि साहित्य, कला और संस्कृति ही वह माध्यम हैं जो इन विभाजनों को पाटने और मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखने में सक्षम हैं। उन्होंने लेखकों, कवियों, कलाकारों और विचारकों का आह्वान करते हुए कहा कि वे मिलकर “साहित्य के सार्वभौमिक गणराज्य” (Universal Republic of Letters) की अवधारणा को साकार करें। यह सार्वभौमिक गणराज्य एक ऐसा समाज होगा जहाँ सभी संस्कृतियाँ, भाषाएँ और विचार एक-दूसरे का सम्मान करते हुए एक सच्चे वैश्विक समाज के निर्माण की दिशा में काम करेंगे। उनका यह वक्तव्य साहित्य की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी को दृढ़ता से स्थापित करता है।


‘उन्मेष’ की वैश्विक भागीदारी और व्यापकता:

‘उन्मेष’ महोत्सव की महत्ता इसमें भाग लेने वाले प्रतिनिधियों की व्यापकता से स्पष्ट होती है। यह केवल एक राष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन नहीं है, बल्कि एक वास्तविक अंतर्राष्ट्रीय मंच है। इस महोत्सव में 16 विभिन्न देशों से कला और संस्कृति क्षेत्र के 550 से अधिक साहित्यकार भाग ले रहे हैं। यह बड़ी भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि भारतीय साहित्य और संस्कृति वैश्विक स्तर पर कितनी महत्वपूर्ण है।

साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस अनूठे समागम की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है इसमें शामिल भाषाओं और बोलियों की विविधता। इस आयोजन में 100 से अधिक भाषाओं और बोलियों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। यह भारत की अविश्वसनीय भाषाई विविधता और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को परिलक्षित करता है। इतनी बड़ी संख्या में भाषाओं का प्रतिनिधित्व यह सुनिश्चित करता है कि साहित्य के हर रूप, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो, उसे पहचान और सम्मान मिले। यह विविधता महोत्सव को ज्ञान, अनुभव और साहित्यिक आदान-प्रदान का एक समृद्ध केंद्र बनाती है। यह महोत्सव आगामी 28 सितंबर तक चलेगा, जिसमें विभिन्न सत्रों, परिचर्चाओं, पुस्तक विमोचन, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।


निष्कर्ष:

पटना में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि साहित्य की शक्ति और सामाजिक भूमिका की पुनर्घोषणा है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का संदेश स्पष्ट है: साहित्य को आर्थिक लालच और डिजिटल अलगाव के युग में मानवीय गरिमा का संरक्षक बनना होगा। 16 देशों और 100 से अधिक भाषाओं के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ, यह महोत्सव न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान करेगा बल्कि एक सच्चे वैश्विक और मानवीय समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगा। यह आयोजन बिहार को एक प्रमुख साहित्यिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करता है।

DOWNLOAD OUR APP – CLICK HERE

READ ALSO – भारत द्वारा ‘अग्नि-प्राइम (Agni-Prime)’ मिसाइल का सफल रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर परीक्षण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *