
विश्व वरिष्ठ नागरिक दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (WEAAD) के अवसर पर HelpAge India द्वारा किए गए एक अनूठे अध्ययन ने यह उजागर किया है कि गैर-महानगरीय शहरों में युवा और बुज़ुर्गों के बीच पारंपरिक मूल्यों और अंतरपीढ़ीय संबंधों की गहराई, महानगरों की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है। इस अध्ययन के तहत 10 शहरों में कुल 5789 लोगों से बात की गई, जिसमें दो-तिहाई बुज़ुर्ग और लगभग 70 प्रतिशत युवा यह मानते हैं कि घर पर प्रतिदिन की बातचीत उनके आपसी संबंधों को मज़बूत बनाती है।
यह संवाद संयुक्त परिवारों और छोटे शहरों में अधिक प्रचलित है, जो इस बात का संकेत देता है कि साझा जीवन व्यवस्था और सामुदायिक संरचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। अध्ययन में शामिल शहरों में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, कानपुर, नागपुर और अहमदाबाद प्रमुख हैं।
INBO रिपोर्ट (India Intergenerational Bonds Report) को मेरा युवा भारत, पंजाब एवं चंडीगढ़ के निदेशक परमहंस सिंह द्वारा जारी किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, महानगरों और छोटे शहरों के युवाओं में बुज़ुर्गों के प्रति भावनात्मक निकटता में अंतर है। गैर-महानगरीय युवा, बुज़ुर्गों के प्रति अधिक आदर, सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव दिखाते हैं।
हालाँकि कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी दोनों पीढ़ियाँ इस बात को लेकर आशावादी हैं कि आपसी समझ को बेहतर बनाया जा सकता है। उनका मानना है कि गुणवत्तापूर्ण समय साथ बिताना, आपसी संबंधों को सुधारने का सबसे कारगर तरीका है।
HelpAge India के पंजाब-चंडीगढ़ राज्य प्रमुख, भावेश्वर शर्मा का कहना है कि यह रिपोर्ट एक ओर जहां सकारात्मक संदेश देती है, वहीं यह समाज के लिए जागरूकता का संकेत भी है।
दिलचस्प बात यह है कि युवा भी बुज़ुर्गों की ही तरह अकेलेपन, बीमारी, आर्थिक असुरक्षा और वृद्धावस्था की आशंकाओं से चिंतित हैं और वे बहु-पीढ़ीय सह-निवास को एक समाधान के रूप में देखते हैं।
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