
Russia ने आधिकारिक रूप से अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है, जिससे वह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यह घोषणा काबुल में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और अफगानिस्तान में रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव के बीच हुई बैठक के बाद की गई। तालिबान सरकार ने रूस के इस निर्णय को “बहादुरी भरा कदम“ बताया है।
अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने अपने बयान में कहा कि यह साहसी फैसला अन्य देशों के लिए एक मिसाल बनेगा और इससे तालिबान सरकार को वैश्विक वैधता की दिशा में बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
Russia विदेश मंत्रालय ने भी इस मान्यता की पुष्टि करते हुए कहा कि इससे अफगानिस्तान और Russia के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती मिलेगी। इसके अतिरिक्त, अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जिया अहमद तकाल ने भी AFP से बातचीत में Russia को तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता देने वाला पहला देश बताया।
क्या है ‘आधिकारिक मान्यता’ का महत्व?
जब कोई देश दूसरे देश की सरकार को आधिकारिक मान्यता देता है, तो वह उसे एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्वीकार करता है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से 1933 की मोंटेवीडियो संधि के सिद्धांतों पर आधारित होता है। इसके लिए चार शर्तें मानी जाती हैं:
स्थायी जनसंख्या
निश्चित भू-क्षेत्र
कार्यशील सरकार
दूसरे देशों से संबंध बनाने की क्षमता
मान्यता मिलने से संबंधित देश को वैधता, अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सदस्यता, वैश्विक व्यापार और राजनयिक सहयोग के नए अवसर मिलते हैं।
तालिबान की पृष्ठभूमि और वैश्विक स्थिति
तालिबान की स्थापना 1994 में कंधार में हुई थी। 15 अगस्त 2021 को इस संगठन ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया। हालांकि, अमेरिका, भारत और यूरोपीय देशों ने अब तक तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है।
Russia ने वर्ष 2003 में तालिबान को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद, 2017 से रूस ने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए कूटनीतिक पहल शुरू की थी, जिसमें तालिबान और तत्कालीन सरकार के बीच संवाद की कोशिश की गई।
तालिबान के नेताओं का कहना है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा किया है, लेकिन वैश्विक राजनीति और अमेरिकी दबाव के चलते उन्हें अब तक मान्यता नहीं मिली। ऐसे में रूस की ओर से मिली यह मान्यता तालिबान सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत मानी जा रही है।
Russia का यह निर्णय न केवल अफगानिस्तान की राजनीति में बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। इससे यह संकेत मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रीय हितों और भू-राजनीतिक समीकरणों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या अन्य देश भी Russia के इस कदम का अनुसरण करते हैं या नहीं।
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