भारत ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, शासन में वृद्धि को चिह्नित करते हुए AI प्रशंसा दिवस मनाया

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भारत में 16 जून को “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रशंसा दिवस” मनाया जा रहा है। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत के डिजिटल भविष्य की दिशा में एक सशक्त कदम है। देश भर में—चाहे वह बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे तकनीकी केंद्र हों या फिर ग्रामीण क्षेत्र—AI  ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, शासन और उद्योग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में अहम भूमिका निभाई है।

भारत की AI यात्रा दशकों की योजना, शोध और निवेश का परिणाम है। 1960 के दशक में प्रारंभिक कंप्यूटर विज्ञान अनुसंधान से शुरू होकर, 1986 में ज्ञान-आधारित कंप्यूटर प्रणाली की शुरुआत, 1990 के दशक में सी-डैक द्वारा सुपरकंप्यूटिंग पर जोर और फिर 2000 के बाद आईटी कंपनियों जैसे टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो द्वारा एआई में निवेश ने इस यात्रा को मजबूती दी। 2015 में शुरू हुए डिजिटल इंडिया अभियान और 2018 की नीति आयोग की राष्ट्रीय एआई रणनीति ने भारत को वैश्विक AI मानचित्र पर तेजी से उभारा।

इस प्रगति का मुख्य आधार शिक्षा है। सरकार ने “सभी के लिए AI ” दृष्टिकोण के तहत राष्ट्रीय एआई कौशल कार्यक्रम, एआई युवा बूटकैंप, और स्किल इंडिया AI पोर्टल जैसे अनेक शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और उद्योग जगत के पेशेवरों को एआई के व्यावहारिक उपयोग की जानकारी देना, उन्हें प्रमाणन देना और भारत को एआई-समर्थ राष्ट्र बनाना है।

भारत की विविध समस्याएँ जैसे खेती में उत्पादकता, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, यातायात नियंत्रण और जनसेवाओं की दक्षता—एआई के लिए एक व्यावहारिक प्रयोगशाला बन गई हैं। यह तभी संभव हो पाया जब शिक्षा को प्राथमिकता दी गई और युवाओं को डिजिटल तकनीक में पारंगत बनाया गया।

सरकार तकनीकी कंपनियों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और आईबीएम के साथ साझेदारी कर रही है ताकि देश का अनुसंधान और नवाचार वैश्विक स्तर से जुड़ा रहे। साथ ही, नए शोध केंद्रों और शिक्षा संस्थानों को भी वित्तीय सहायता दी जा रही है जिससे नवाचार को बढ़ावा मिले।

एआई प्रशंसा दिवस हमें इस बात का स्मरण कराता है कि प्रौद्योगिकी केवल उपकरण नहीं है—यह समाज परिवर्तन का माध्यम है। शिक्षा और जागरूकता के साथ यदि हम एआई का जिम्मेदारी और नैतिकता से उपयोग करें, तो भारत न केवल तकनीकी रूप से सशक्त बनेगा, बल्कि यह एक समावेशी और संवेदनशील डिजिटल समाज की ओर भी अग्रसर होगा।

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