
परिचय: 15 अप्रैल 2025 को जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR 2025) के चौथे संस्करण में न्याय प्रदान करने के मामले में कर्नाटक ने 18 बड़े और मध्यम आकार के भारतीय राज्यों में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। इस रिपोर्ट में कर्नाटक को 10 में से 6.78 अंक मिले हैं, जो इसे न्याय प्रणाली में उत्कृष्टता के लिए एक मानक बनाता है।
कर्नाटक की उपलब्धियाँ:
- कर्नाटक एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने पुलिस और न्यायपालिका दोनों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के लिए आरक्षण कोटा पूरा किया है।
- यह राज्य न्याय प्रणाली में सुधार के लिए विभिन्न पहलों को लागू करने में अग्रणी रहा है, जिससे न्याय की पहुँच में वृद्धि हुई है।
अन्य राज्यों की स्थिति:
- कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश (AP) है, जिसे 6.32 अंक मिले हैं।
- तीसरे स्थान पर तेलंगाना (6.15) है, जिसने 11वें स्थान से सुधार करते हुए तीसरे स्थान पर पहुँचने में सफलता हासिल की है।
- केरल चौथे और तमिलनाडु (TN) पांचवे स्थान पर हैं।
- पश्चिम बंगाल (WB) 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में सबसे निचले स्थान पर रहा, जहाँ उसे केवल 3.63 अंक प्राप्त हुए।
छोटे राज्यों की स्थिति:
- छोटे राज्यों (1 करोड़ तक की आबादी वाले) में सिक्किम पहले स्थान पर रहा, उसके बाद हिमाचल प्रदेश (HP) दूसरे और अरुणाचल प्रदेश (AR) तीसरे स्थान पर हैं।
- गोवा इस श्रेणी में सबसे निचले स्थान पर रहा।
रिपोर्ट का महत्व: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2019 में मुंबई (महाराष्ट्र) स्थित टाटा ट्रस्ट द्वारा शुरू किया गया एक वार्षिक प्रकाशन है। यह रिपोर्ट भारत के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है, जो चार मुख्य स्तंभों:
- पुलिस
- न्यायपालिका
- जेल
- कानूनी सहायता
निष्कर्ष: IJR 2025 कर्नाटक की न्याय प्रणाली में सुधार और सामाजिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है। यह रिपोर्ट अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है, जिससे वे न्याय प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठा सकें। न्याय की पहुँच को बढ़ाने और सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए यह रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करती है।