
केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को वर्तमान समय की सबसे गंभीर वैश्विक चुनौतियों में से एक बताया और BRICS देशों के बीच सहयोग को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि आर्थिक स्थिरता, सतत विकास और ऊर्जा संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने भारत की सतत और समावेशी ऊर्जा भविष्य की प्रतिबद्धता को दोहराया। ब्राज़ील के नेतृत्व में ‘वैश्विक दक्षिण सहयोग को सुदृढ़ करना’ विषय पर आयोजित चर्चा की सराहना की। ऊर्जा तक सुलभता, सुरक्षा, और लागत वहन क्षमता को वैश्विक विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक बताया।
भारत की प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा उपलब्धियाँ:
बिजली उत्पादन क्षमता में 90% की वृद्धि –
भारत ने पिछले दशक में अपनी विद्युत क्षमता को 475 गीगावॉट तक पहुँचाया और वर्ष 2032 तक 900 GW का लक्ष्य निर्धारित किया है।सौर एवं पवन ऊर्जा में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक –
भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सौर और पवन ऊर्जा उत्पादक बन गया है।Ethanol Blending –
20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त कर बायोफ्यूल को बढ़ावा दिया गया है।स्मार्ट ग्रिड और ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर –
स्मार्ट ग्रिड, उन्नत मीटरिंग और हरित ऊर्जा गलियारे में निवेश कर ट्रांसमिशन नेटवर्क को सशक्त किया गया है।न्यूक्लियर और ग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य –
100 GW परमाणु क्षमता का लक्ष्य वर्ष 2047 तक प्राप्त करना और ग्रीन हाइड्रोजन में अग्रणी बनना।कार्बन क्रेडिट बाजार की शुरुआत –
घरेलू कार्बन क्रेडिट मार्केट की शुरुआत करते हुए वैश्विक सहयोग का आह्वान।ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम –
सस्टेनेबल बिल्डिंग कोड, रूफटॉप सोलर, और ऊर्जा दक्ष उपकरणों के लिए मानक विकसित किए गए हैं।
मंत्री ने विकासशील देशों के लिए फॉसिल ईंधनों की अनिवार्यता को स्वीकार करते हुए इनके स्वच्छ और प्रभावी उपयोग की आवश्यकता जताई। इसके लिए कोल गैसीफिकेशन, कार्बन कैप्चर स्टोरेज, और ग्रीन केमिकल टेक्नोलॉजी जैसे तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने BRICS देशों को वर्ष 2026 में भारत में प्रस्तावित BRICS ऊर्जा बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और भारत की ऊर्जा नेतृत्व भूमिका को फिर से पुष्ट किया।
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