भारत की स्वदेशी नौसैनिक प्रणोदन क्षमताओं में महत्वपूर्ण विकास

15 अप्रैल, 2025 को, मुंबई (महाराष्ट्र) स्थित लार्सन एंड टुब्रो के प्रिसिजन इंजीनियरिंग सिस्टम्स (एलएंडटी पीईएस) ने अपने 651 किलोवाट वॉटरजेट प्रोपल्शन सिस्टम के प्रारंभिक समुद्री परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना के तहत किया गया, जो भारत की स्वदेशी नौसैनिक प्रणोदन क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण विकास को दर्शाता है।

प्रमुख तथ्य और आंकड़े:

  1. प्रणोदन प्रणाली:

    • वॉटरजेट प्रोपल्शन सिस्टम की क्षमता 651 किलोवाट है, जो उच्च गति संचालन के लिए डिज़ाइन की गई है।
  2. समुद्री परीक्षण:

    • इस प्रणाली का परीक्षण भारतीय नौसेना (आईएन) के फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट (एफआईसी) पर किया गया।
    • परीक्षण के दौरान, प्रणाली ने 45 नॉट्स (85 किलोमीटर प्रति घंटे) से अधिक की उच्च गति संचालन क्षमता का प्रदर्शन किया।
  3. डीआरडीओ की भूमिका:

    • यह विकास डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना के तहत हुआ, जो स्वदेशी तकनीकों के विकास को बढ़ावा देती है।
  4. महत्व:

    • यह प्रणाली भारत की नौसैनिक क्षमताओं को मजबूत करने में मदद करेगी और देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
    • स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली के विकास से भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम होगी।

निष्कर्ष:

एलएंडटी पीईएस द्वारा विकसित वॉटरजेट प्रोपल्शन सिस्टम का सफल परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल भारतीय नौसेना की संचालन क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देगा।

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