“का वर्षा जब कृषि सुखाने। समय बीत पुनि का पछताने” पर 700 से 800 शब्दों में निबंध लिखें

भावार्थ : समय बहुमूल्य है, समय ही धन है। समय पर संपन्न कार्य ही फलदायी होता है। 

परिचय

स्वस्थ मस्तिष्क वाले हर व्यक्ति में उन्नति की चाह होती। जिसमें उन्नति की चाह न हो, उसे एक प्रकार से भूत ही समझना चाहिए। दुर्बल बलवान बनना चाहता है। मानव-जीवन में उन्नति के अनेक साधन हैं। सभी साधनों के मूल में है – ‘समय का सदुपयोग’। एक क्षण का सदुपयोग जीवन का सदुपयोग हैं और एक-एक क्षण का दुरुपयोग जीवन का दुरुपयोग है। इतिहास साक्षी है, जिसने समय का सदुपयोग किया, वह सफलता की चोटी पर जा बैठा। गांधी, नेपोलियन, अरस्तु, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, गणितज्ञ रामानुजन, वैज्ञानिक मैडम क्यूरी आदि महान लोगों की जीवनी इसके उदाहरण है। कहा गया है – ‘समय का चूका विद्यार्थी, बरसात का चूका किसान और डाल का चूका बन्दर कहीं का नहीं रहता।’ इस ग्रामीण लोकोक्ति से भी समय उसका सम्मान करता है। जो समय को नष्ट करता है, समय भी उसे नष्ट कर देता है। इसी भाव को शेक्सपियर ने अपने एकमात्र सम्राट से बड़ी पीड़ा के साथ कहलवाया है – ‘उफ़, पहले मैंने समय को नष्ट किया, अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।’

एक बार किसी ने गांधी जी ने पूछा था – ‘महात्मा जी, आपकी सफलताका राज क्या है? गांधी जी ने मुस्कराते हुए अपनी कमर में लटकी घड़ी की ओर इशारा किया, यानी समय की पाबंदी। गांधी जी ने एक-एक मिनट का बड़ी सावधानी व बुद्धिमानी से उपयोग किया था। फलतः वे विश्ववन्घ बन गये। पांच मीनट के समय को महत्त्व नहीं दिए जाने के कारण आस्ट्रिया को नेपोलियन से हारना पड़ा था। नेपोलियन ने एक-एक क्षण का सदुपयोग करअपने शौर्य से यह सिद्ध कर दिया कि उसके शब्दकोष में असंभव शब्द के लिए स्थान नहीं है। इस संबंध में कछुए और खरगोश के बीच हुई दौड़-प्रतियोगिता की कथा को उद्धृत करना प्रासंगिक है। मंथरगामी कछुए ने प्रतियोगिता के लिए निर्धारित समय के एक-एक क्षण का आलस्य त्यागकर सदुपयोग किया, फलतः उसे विजय मिली। दूसरी ओर तीव्रगामी खरगोश ने उपलब्ध समय को आराम में नष्ट किया। फलतः उसे पराजय मिली। इस प्रकार एक-एक क्षण के सदुपयोग से विजय का सेहरा सर पर बंधता है आवर एक-एक क्षण की चूक से मुंह पर पराजय की कालिख लगती है। कार्य की सफलता कुशलता से ज्यादा तत्परता पर निर्भर करती है।

किसी ने ठीक ही लिखा है –

Time is precious, time is money,
Work done in times, is sweet hone.

अर्थात समय बहुमूल्य है, समय ही धन है। समय पर संपन्न कार्य ही फलदायी होता है। आलस्य और कार्य टालने की प्रवृति ये दोनों समय के दुश्मन है। सभी जनों को इनसे सावधान रहना चाहिए : क्योंकि समय और ज्वार किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।’ Times and tide wait for nones.!

समय का सदपयोग हो इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को नियमित जीवन जीन चाहिए। प्रत्येक दिन का एक लघुकालीन लक्ष्य निर्धारित कर समय रहते इसे प्राप्त कर लेना चाहिए। जो छात्र प्रतिदिन की अपनी पढ़ाई समाप्त नहीं कर पाते, उन्हें परिक्षा के समय पाठ्यक्रम पहाड़ जैसा प्रतीत होता है और तब परीक्षा में सफलता के लिए वे गलत हथकंडे अपनाते हैं। इन गलत कार्यों से भी उन्हें असफलता ही हाथ लगती है और समाज के सामने उनका सर नीचा होता है।

अतः, प्रत्येक व्यक्ति को एक-एक क्षण का सदुपयोग कर किशोरावस्था में विद्यार्जन, युवावस्था में धनार्जन एवं प्रौढ़ावस्था में ज्ञानार्जन करना चाहिए अन्यथा वृद्धावस्था में हर कौर के साथ अपमान का विष पीना पड़ता है।

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