जलवायु स्मार्ट शहर आकलन ढाँचा-2.0’  और ‘स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज’ अभियान का शुभारंभ

11 सितंबर, 2020 को केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री ने ‘जलवायु स्मार्ट शहर आकलन ढाँचा-2.0’ (Climate Smart Cities Assessment Framework- CSCAF 2.0) और ‘स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज’ (Streets for People Challenge) अभियान का शुभारंभ किया। 

जलवायु स्मार्ट शहर आकलन ढाँचा- 2.0 (CSCAF 2.0):
  • इसका उद्देश्य शहरों को निवेश समेत अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने के दौरान सामने आने वाली जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिये स्पष्ट रोडमैप उपलब्ध कराना है। 
  • यह आकलन फ्रेमवर्क विश्व में वर्तमान समय में अपनाए जाने वाले आकलन फ्रेमवर्क के अध्ययन एवं विभिन्न क्षेत्रों के 26 संस्थानों तथा 60 विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।
  • इस फ्रेमवर्क में पाँच श्रेणियों के तहत 28 संकेतकों को शामिल किया गया है जिसमें निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं: 
    • ऊर्जा एवं हरित इमारतें 
    • शहरी नियोजन, हरित क्षेत्र एवं जैव विविधता
    • आवागमन तथा वायु गुणवत्ता 
    • जल प्रबंधन 
    • अपशिष्ट प्रबंधन 
  • ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स’ (National Institute of Urban Affairs- NIUA) के तहत शहरों के लिये जलवायु केंद्र CSCAF के कार्यान्वयन में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय समर्थन कर रहा है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA):
  • यह नई दिल्ली में शहरी विकास एवं प्रबंधन में अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं सूचना प्रसार के लिये एक संस्थान है।
  • इसे वर्ष 1976 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम-1860 के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया गया था।
महत्त्व:
  • पिछले एक दशक में भारतीय शहरों के समक्ष चक्रवाती तूफान, बाढ़, लू का प्रकोप, पानी की समस्या और सूखे जैसी विषम स्थितियाँ आई हैं।इससे जान एवं माल दोनों के नुकसान के साथ-साथ आर्थिक विकास भी प्रभावित हुआ है। इस संदर्भ में CSCAF पहल जलवायु परिवर्तन संबंधी पहलुओं के मद्देनज़र भारत में शहरी नियोजन एवं विकास में मदद करेगी।
स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज’
  • भारतीय शहरों की गलियों को पैदल चलने वालों के लिये और अधिक सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से ‘स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज’ (Streets for People Challenge) की शुरुआत की गई है। 
  • यह चैलेंज केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी उस एडवाइज़री पर आधारित है जिसमें इस वर्ष की शुरुआत में बाज़ारों को पैदल चलने वालों के अनुकूल बनाने के लिये कहा गया था। 
  • यह चैलेंज देशभर के शहरों को एक समान गलियों के निर्माण में मदद करेगा जो विभिन्न पक्षकारों एवं नागरिकों से परामर्श पर आधारित होगा। इसके लिये एक प्रतिस्पर्द्धी प्रारूप अपनाया जाएगा ताकि विभिन्न शहरों को अपने स्वयं के डिज़ाइन प्रतियोगिताओं को शुरू करने के लिये निर्देशित किया जाएगा जिससे त्वरित, नवीन एवं कम लागत वाले सामरिक समाधानों के लिये पेशेवरों से नवीन विचारों को संग्रहित किया जा सके।
  • इसका उद्देश्य कम लागत एवं नए विचारों के साथ शहरी गलियों का निर्माण करना है जो पैदल चलने वालों के अनुकूल हो। 
  • इस प्रतिस्पर्द्धा में शामिल होने वाले सभी शहरों को ‘टेस्ट-लर्न-स्केल अप्रोच’ के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा जिससे महत्त्वाकांक्षी एवं आसपास के खाली पड़े क्षेत्रों में पैदल चलने वाले रास्तों को बेहतर किया जा सके।

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