बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य की जनसांख्यिकीय संरचना पर प्रकाश डालते हुए अपने बिहार जाति जनगणना ( Bihar Census ) सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए। सर्वेक्षण बिहार में जाति वितरण पर मूल्यवान डेटा प्रदान करता है।
बिहार जाति जनगणना: प्रमुख जनसांख्यिकीय विश्लेषण
1.ओबीसी और ईबीसी का प्रभुत्व:
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) में 36.01% आबादी शामिल है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जनसंख्या का 27.13% है।
2. अनुसूचित जाति एवं जनजाति:
अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 19.65% है।
अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या 1.68% है।
3. सामान्य जाति और यादव:
सामान्य जाति की जनसंख्या 15.52% है।
यादव जनसंख्या का 14% प्रतिनिधित्व करते हैं।
4. धार्मिक संरचना:
जनसंख्या में 82% हिन्दू हैं।
मुसलमानों की संख्या 17.71% है।
सर्वेक्षण विशिष्ट जाति समूहों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है:
ओबीसी में यादव 14.26% हैं।
कुशवाह और कुर्मी जातियाँ क्रमशः 4.27% और 2.87% हैं।
जाति सर्वेक्षण में जाति सहित 17 सामाजिक-आर्थिक संकेतक शामिल थे।
यह तीन चरणों में आयोजित किया गया था, जिसमें लगभग 2.64 लाख प्रगणकों ने 29 मिलियन पंजीकृत घरों से डेटा का दस्तावेजीकरण किया था।
कुल 214 जातियों की पहचान की गई और उन्हें अलग-अलग कोड दिए गए।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष राज्य में आरक्षण पर 50% की सीमा को चुनौती देने का द्वार खोल सकते हैं।
बिहार सरकार ने जनवरी में दो चरण का जाति सर्वेक्षण शुरू किया, जिसमें राज्य के लगभग 12.70 करोड़ लोगों की आर्थिक स्थिति और जाति डेटा दोनों दर्ज किए गए।
केंद्र सरकार ने 2011 (SECC-2011) में एक जाति सर्वेक्षण कराया था, लेकिन डेटा कभी सार्वजनिक नहीं किया गया था।