बिहार में लोहार जाति से छिना अनुसूचित जनजाति का दर्जा

ख़बरों में क्यों :

21 अप्रैल, 2022 को बिहार सरकार ने आदेश जारी कर लोहार जाति से अनुसूचित जनजाति का दर्जा वापस ले लिया है।

प्रमुख बिंदु :

  • प्रदेश सरकार द्वारा यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लिया गया है।
  • गौरतलब है कि बिहार में लोहार जाति को वर्ष 2016 में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी से हटाकर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था।
  • प्रदेश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सुनील कुमार एवं अन्य बनाम राज्य सरकार और अन्य के मामले में 21 फरवरी, 2022 को अपने फैसले में राज्य सरकार के वर्ष 2016 के आदेश को निरस्त कर दिया।
  • सामान्य प्रशासन विभाग के इस निर्णय के तहत लोहार जाति के दूसरी पिछड़ी जातियों की तरह एनेक्सचर वन में शामिल होने से अब लोहार जाति को अन्य पिछड़े वर्गों के तहत आने वाली अन्य जातियों की तरह ही सुविधाएँ दी जाएंगी।
  • अनुच्छेद 366 (25) ने अनुसूचित जनजातियों को ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों या ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों के कुछ हिस्सों या समूहों के रूप में परिभाषित किया है, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिये अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।

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