कोरोना संकट का असर अब बिहार सरकार के वित्तीय व्यवस्था (Financial Arrangements) पर देखने को मिला है . बिहार सरकार (Bihar Government) को लगातार इस कोरोना संकट में नुकसान उठाना पड़ रहा है. लगभग सभी विभागों की राजस्व वसूली को देखा जाए तो पिछले साल की तुलना में लगभग 80 फीसदी कम उगाही हो पाई है. हालांकि बिहार सरकार के मुताबिक इस घाटे को केन्द्रांश और पीएम के विशेष पैकेज की योजनाओं से पाटा जाएगा.
पिछले साल की तुलना में कम राजस्व
कोरोना संकट के कारण राज्य के राजस्व संग्रह में पिछले वर्ष के अप्रैल माह की तुलना में इस साल अप्रैल में 82.29 प्रतिशत की कमी आई है. अप्रैल, 2020 में जहां वेतन, पेंशन, आपदा प्रबंधन, सामाजिक सुरक्षा, लोकऋण के मूलघन और ब्याज की वापसी और पंचायतों के अनुदान पर 12,202 करोड़ खर्च हुआ. वहीं सभी तरह के संसाधनों से मात्र 9,861 करोड़ ही प्राप्त हो पाया. इसके कारण 2,341 करोड़ के घाटे को पहले की बचत की राशि से पूरा किया गया.
सभी विभागों के राजस्व में कमी आई है
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि वर्ष 2019 के अप्रैल में राज्य का अपना राजस्व संग्रह 2,542.23 करोड़ की तुलना में 24 मार्च से लॉकडाउन लागू हो जाने के कारण अप्रैल 2020 में मात्र 450.21 करोड़ ही हो पाया. वाणिज्य कर का अप्रैल, 2019 के 1,622.23 करोड़ की तुलना में अप्रैल, 2020 में मात्र 256.21 करोड़, निबंधन से 299.21 करोड़ की जगह 4.0 करोड़, परिवहन से 189.68 करोड़ की जगह 31 करोड़, खनन से 71.16 करोड़ की जगह 60 करोड़ और अन्य स्रोतों से 359.95 करोड़ की तुलना में केवल 99 करोड़ का ही संग्रह हो पाया.
2,341 करोड़ रहा घाटा
इस प्रकार राज्य को अपने अन्य स्रोतों से कुल 450.21 करोड़ के राजस्व संग्रह के साथ केन्द्रीय करों में हिस्से के रूप में 4,632 करोड़ और भारत सरकार से अनुदान के तौर पर 2,450 करोड़ सहित सभी अन्य संसाधनों से केवल 9,861 करोड़ प्राप्त हुआ. जिसके कारण खर्च और आय में 2,341 करोड़ का घाटा रहा.