राज्यसभा ने बीमा संशोधन विधेयक 2021 पारित कर दिया। यह बीमा अधिनियम -1938 में संशोधन करेगा। इससे भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई जाएगी। बिल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मौजूदा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रावधान है। बीमा कंपनियों के स्वामित्व और नियंत्रण पर पाबंदियां हटाने का भी प्रावधान किया गया है।
बिल के मुताबिक, बोर्ड में ज्यादातर डायरेक्टर्स और मुख्य प्रबंधन व्यक्ति भारत के रहने वाले होंगे, जिसमें कम से कम 50 फीसदी निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे और मुनाफे का पर्याप्त प्रतिशत सामान्य रिजर्व के तौर पर रखा जा रहा है। वर्ष 2015 में सरकार ने पिछली बार बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 26 प्रति से बढ़ाकर 49 प्रति किया था।
एफडीआई में बढ़ोतरी का लक्ष्य देश में लाइफ इंश्योरेंस की पहुंच को बढ़ाना है. देश में लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर 3.6 फीसदी है, जो 7.13 फीसदी के वैश्विक औसत से कम है, और जनरल इंश्योरेंस के मामले में, यह और बुरा जीडीपी का 0.94 फीसदी है. दुनिया का औसत इसमें 2.88 फीसदी है.
सीतारमण ने कहा कि यह संशोधन इसलिए किया जा रहा है कि कंपनियां यह तय कर सकें कि उन्हें किस सीमा तक एफडीआई लेना है। उन्होंने कहा ‘‘यह न तो विनिवेश वाली बात है और न ही निजीकरण वाली बात है। बीमा क्षेत्र के नियामक ने सभी पक्षों के साथ गहन विचार विमर्श के बाद इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया।’’