ब्रह्मांड एवं सौरमंडल

ब्रम्हाण्ड

आकाशगंगाओं के सभी पुंज को एक साथ ब्रह्माण्ड कहा जाता है, अर्थात सबसे छोटे अणुओं से लेकर अलौकिक आकाशगंगाओं तक के संयुक्त रूप को ब्रह्मांड कहा जाता है।

ब्रम्हाण्ड की उत्तपति से संबंधित अन्य सिद्दांत

ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में “बिग बैंग सिद्धांत” सबसे विश्वसनीय और प्रमुख सिद्धांत है, जिसे “जॉर्ज लेमिट्रे” द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस अवधारणा के अनुसार, लगभग 13.7 अरब साल पहले, जब ब्रह्मांड के सभी तत्व एक ही स्थान पर अत्यधिक संघनित और तप्त आग के गोले के रूप में थे, तो उनमें परमाणु विखंडन हुआ। जिससे निकलने वाली पदार्थ अति तीव्र गति से प्रसारित हुए और ब्रह्मांड का वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ था। इसके बाद भी, ब्रह्मांड का विस्तार जारी है, जिसका अनुमान आकाशगंगाओं के बीच बढ़ती दूरी से है।

कॉस्मिक थ्रेड नामक सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड धागे जैसी संरचनाओं से जुड़ा हुआ है। इस सिद्धांत के लिए, भारतीय वैज्ञानिक प्रो. “अशोक सेन” को प्रथम क्यूरी इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया।

गॉड पार्टिकल
गॉड पार्टिकल परमाणु से छोटा एक बहुत छोटा कण है, जिसे ब्रह्मांड निर्माण का मूल कारण माना गया है। इस कण की कल्पना पहली बार पीटर हिग्स ने वर्ष 1964 में की थी। चूंकि भारतीय वैज्ञानिक “सत्येंद्र नाथ बोस” ने भी इससे संबंधित विचार दिया था, इसलिए इसे “हिग्स बोसोन” भी कहा जाता है।
इसमें उन्होंने कहा कि ईश्वर कण वह कण है जो मैटर को द्रव्यमान प्रदान करता है। उनके सिद्धांत में, हिग्स बोसोन एक ऐसा मूल कण था, जिसका एक क्षेत्र था जो ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद था। जब कोई अन्य कण इस क्षेत्र से गुजरता है, तो उसे प्रतिरोध या रुकावट का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पानी या वायु के माध्यम से गुजरने पर होता है।
ब्रह्मांड रहस्यों का पता लगाने के लिए वर्ष 2012 में, यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर ने जेनेवा में पृथ्वी की सतह से 27 किमी नीचे लंबी सुरंग में, “लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर” नामक एक महान प्रयोग किया। 10,000 से अधिक वैज्ञानिकों ने इसमें भाग लिया। वास्तव में, वैज्ञानिक 15 अरब साल पहले हुई ब्रह्मांडीय घटना को प्रयोगशाला में दोहराना चाहते थे, जिसे विज्ञान की दुनिया में बिग बैंग के रूप में जाना जाता है।

सौरमंडल

सौरमंडल की उत्पत्ति और पृथ्वी की उत्पत्ति दोनों की व्याख्या करने के लिए कई वैज्ञानिक प्रयास हुए हैं। इसके तहत, फ्रांसीसी वैज्ञानिक बफन ने 1745 में पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में अपना विचार दिया, जिसके अनुसार एक विशालकाय पूंछ सूर्य के पास आई और दोनों के बीच भीषण टक्कर के कारण, ग्रह-उपग्रह बन गए।

इसके अलावा, वायेजर 1 और 2 अंतरिक्ष यान ब्रह्मांड के अध्ययन और अन्वेषण के लिए लॉन्च किए गए हैं।

सौरमंडल में सूर्य के परिवार में बुध, शुक्र, पृथ्वी, बृहस्पति, शनि, अरुण तथा वरुण ग्रह एवं उनके उपग्रहों सहित क्षुद्रग्रह सम्मिलित है।

परीक्षा उपयोगी महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • सौरमंडल मंदाकनी आकाशगंगा का एक भाग है, जिसका संरचना सर्किल है।
  • सौरमंडल का जनक निहारिका नामक आकाशीय पिण्ड को कहा जाता है।
  • पृथ्वी का रंग आकाश से जल एवं वायुमंडल के उपस्थिति के कारण नीला दिखाई पड़ता है।
  • एक वर्ष में प्रकाश द्वारा जितनी दुरी तय किया जाता है, वह एक प्रकाश वर्ष कहलाता है, एक प्रकाश वर्ष का मान 9.46 × 1012 किमी. होता है।
  • सायं एवं भोर का तारा शुक्र ग्रह को कहा जाता है।
  • पृथ्वी का बहन शुक्र ग्रह को कहा जाता है।
  • सूर्य का सबसे निकटम एवं सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह बुध है।
  • सूर्य का आयु 4.5 अरब वर्ष मानी जाती है, इसका व्यास 1391016 किमी. है, जो पृथ्वी के व्यास से 109 गुना अधिक है ।
  • सूर्य के सतह का तापमान 58000 k है।
  • सूर्य के ऊपर दिखाई देने वाला काला धब्बा स्वर्ण कलंक कहलाता है।
  • आकर में सामान होने के कारण पृथ्वी और शुक्र को जुडवा ग्रह कहा जाता है।
  • शुक्र ग्रह का सबसे ऊँचा पर्वत मैक्सवेल माउन्ट है जिसकी उचाई 11 किमी. है।
  • पृथ्वी ग्रह का एक मात्र उपग्रह चन्द्रमा है।
  • मंगल ग्रह का लाल रंग लौह ऑक्साइड के उपस्थिति के कारण है।
  • मंगल ग्रह का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया है जो माउन्ट एवरेस्ट से तीन गुना बड़ा है।
  • मंगल ग्रह के दो उपग्रह फोबोस एवं डीमोस है।
  • सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति है।
  • अरुण को लेटा हुआ ग्रह के नाम से जानते है।
  • सौरमंडल का सर्वाधिक ठंडा ग्रह वरुण है।

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