भारत ने अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में कार्रवाई करने के लिए किया अमेरिका का विरोध

भारत ने पश्चिमी हिंद महासागर में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में कार्रवाई करने के लिए अमेरिका का विरोध किया, अमेरिका के इस दावे को खारिज कर दिया कि भारत का घरेलू समुद्री कानून अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।

यूएस सेवेंथ फ्लीट ने घोषणा की कि उसके एक युद्धपोत, यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (डीडीजी 53) ने लक्षद्वीप द्वीप समूह के पश्चिम में भारत की पूर्व सहमति के बिना भारत के ईईजेड के भीतर ‘फ्रीडम ऑफ नेविगेशन एक्शन’/ ‘नौवहन स्वतंत्रता कार्यवाही’  को अंज़ाम दिया है।।

अमेरिकी नौसेना तटीय देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में जलमार्ग बनाने का प्रयास करती है। यह कार्रवाई दुनिया भर में अपने नौसैनिक अधिकारों और स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने और अभ्यास करने की अमेरिकी नीति की पुष्टि करती है।

भारत का मानना है कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Law of the Sea) अन्य देशों को किसी देश की सहमति के बिना उसके EEZ क्षेत्र में और महाद्वीपीय शेल्फ में सैन्य अभ्यास (विशेष रूप से हथियारों या विस्फोटकों का इस्तेमाल करने वाले) करने का अधिकार नहीं देता है लेकिन इस मार्ग से सिर्फ गुज़रने पर अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है। अमेरिका की यह कार्रवाई भारतीय कानून (क्षेत्रीय जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976) का उल्लंघन है।

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि, 1982
यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो दुनिया के महासागरों के उपयोग के लिए एक नियामक ढांचा प्रदान करती है।
यह संधि समुद्री संसाधनों और समुद्री पर्यावरण के संरक्षण और उनके समान उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करती है।
यह इस अवधारणा पर आधारित है कि किसी भी देश की सभी समुद्री समस्याओं का निकट संबंध है और इसे समग्र रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है।
यह संधि वर्ष 1994 में लागू हुई। वर्तमान में यह समुद्री कानून से संबंधित सभी मामलों के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कानून है।भारत ने वर्ष 1995 में इसकी पुष्टि की, जबकि अमेरिका ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।

भारतीय कानून (प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976):

भारत का EEZ क्षेत्र अपने प्रादेशिक समुद्र से अलग है, लेकिन इसका आधार सीमा से दो सौ समुद्री मील तक है।
भारत का क्षेत्रीय समुद्र बेसलाइन से 12 समुद्री मील की दूरी पर फैला हुआ है।
प्रादेशिक जल के बीच से सभी विदेशी जहाज़ों (उप-मरीन, पनडुब्बी और युद्धपोत) को इनोसेंट पैसेज (Innocent Passage) पर जाने का अधिकार होता है।

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