राज्य विधानमंडल
संविधान के अनुच्छेद 168 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए विधानमंडल प्रदान किया जाता है, लेकिन संविधान ने प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के संबंध में द्विसदनीय सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया है। राज्य का विधानमंडल राज्यपाल और एक या दो सदनों से बना होता है जैसा भी मामला हो। जहाँ दो सदन होते हैं, निचले सदन को विधान सभा कहा जाता है और ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य सीधे वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं। विधान परिषद में कुछ सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किए जाते हैं और बाकी अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न निर्वाचकों द्वारा चुने जाते हैं।
केंद्र के समान राज्य में, निचले सदन की शक्तियां अधिक होती हैं। वर्तमान में, केवल सात राज्यों – उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में द्विसदनीय विधानसभाएं हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि जम्मू और कश्मीर में विधान परिषद भारत के संविधान द्वारा नहीं बल्कि जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान द्वारा व्यवस्थित है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार, संसद को राज्य में विधान परिषद को स्थापित करने और समाप्त करने का अधिकार है, यदि संबंधित राज्य की विधानसभा अपने कुल बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पारित करती है।
राज्य के विधानमंडल सम्बंधित अनुच्छेद
राज्य के विधानमंडल सम्बंधित अनुच्छेद |
अनुच्छेद 168:-राज्यों के विधानमंडलों का गठन |
अनुच्छेद 169:-राज्यों के विधानपरिषदों का सृजन |
अनुच्छेद 170:-विधानसभाओं का संरचना |
अनुच्छेद 171:-विधानपरिषदों की संरचना |
अनुच्छेद 172:-राज्य के विधानमंडलों की अवधि |
अनुच्छेद 173:-राज्य के विधानमंडल की सदस्ता के लिए अहर्ताएं |
अनुच्छेद 174:-विधानमंडल के सत्र के सत्रावसान और विघटन |
अनुच्छेद 175:-सदनों में अभिभाषण |
अनुच्छेद 176:-राज्यपाल का विशेष अभिभाषण |
अनुच्छेद 177:-सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ताओ का अधिकार |
अनुच्छेद 178:-विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष |
अनुच्छेद 179:-अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना |
अनुच्छेद 180:-अध्यक्ष के पद का कर्त्तव्य पालन करना |
अनुच्छेद 181:-अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को पद से हटाना |
अनुच्छेद 182:-विधानपरिषद का सभापति और उपसभापति |
अनुच्छेद 183:-सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होना |
अनुच्छेद 184:-सभापति के पद का कर्त्तव्य पालन करना |
अनुच्छेद 185:-सभापति और उपसभापति को पद से हटाना |
अनुच्छेद 186:-अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,सभापति,और उपसभापति के वेतन और भत्ते |
अनुच्छेद 187:-राज्य के विधानमंडल का सचिवालय कार्य सञ्चालन |
अनुच्छेद 188:-सदस्यों का शपथ |
अनुच्छेद 189:-सदनों में मतदान |
अनुच्छेद 190:-स्थानो का रिक्त होना |
अनुच्छेद 191:-सदस्ता के लिए अहर्ताएं |
अनुच्छेद 192:-सदस्यों की निर्हरताओं से सम्बंधित विनिश्चय |
अनुच्छेद 193:-अनुच्छेद 188 का खंडन |
अनुच्छेद 194:_विधानमंडल के सदस्यों के शक्ति और अधिकार |
अनुच्छेद 195:-सदसयो के वेतन और भत्ते |
अनुच्छेद 196:-विधेयकों के पुनर्स्थापन |
अनुच्छेद 197:-विधानपरिषदों के शक्तियों का निर्बंदन |
अनुच्छेद 198:-धन विधेयकों के सम्बन्ध में विशेष पृकिर्या |
अनुच्छेद 199:-धन विधेयक का परिभाषा |
अनुच्छेद 200:-विधेयकों की अनुमति |
अनुच्छेद 201:-विचार के लिए आरक्षित विधेयक |
अनुच्छेद 202:-वार्षिक वित्तीय विवरण |
अनुच्छेद 203:-विधानमंडलों में प्राकलनों के सम्बन्ध में प्रकिया |
अनुच्छेद 204:_विनियोग विधेयक |
अनुच्छेद 205:-अनुपूरक,अतिरिक्त ,या अधिक अनुदान |
अनुच्छेद 206:-लेखानुदान,पर्त्यानुदान,और अपवादअनुदान |
अनुच्छेद 207:-वित् विधेयक के बारे में विशेष उपबंध |
अनुच्छेद 208:-प्रकिरिया के नियम |
अनुच्छेद 209:-राज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य |
अनुच्छेद 210:-विधानमंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा |
अनुच्छेद 211:-विधानमंडल में चर्चा पर निर्बंधन |
अनुच्छेद 212:-न्यायलयों द्वारा विधानमंडल की कार्यो की जांच नहीं करना |
अनुच्छेद 213:-राज्यपाल की शक्ति |