ख़बरों में क्यों :
आगामी 1 जुलाई से केंद्र सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल की खरीद बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लग जाएगा.
प्रमुख बिंदु :
- वर्तमान में राज्य में 28 कारखानों के साथ 200 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार है.
- 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक प्रतिबंधित होंगे. इनके अलावा थर्माकोल से बने कप प्लेट ग्लास और अन्य कटलरी आइटम भी एक जुलाई से प्रतिबंधित होंगे.
- जो प्लास्टिक कंपोस्ट योग्य है, उस पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा
- बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल का 200 करोड़ का सालाना व्यापार होता है. पूरे बिहार में 28 फैक्ट्रियां हैं जिसमें से चार केवल पटना में ही है. इन फैक्ट्रियों से हर रोज तकरीबन 45 टन प्लास्टिक ग्लास का उत्पादन होता है.
- इस व्यवसाय में केवल बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक जुड़े हुए हैं, जिनमें 80% के करीब महिलाएं हैं.
- पूरे पटना में प्रतिदिन करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है और अगर पूरे बिहार की बात करें तो सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इन प्लास्टिक के कारण एक तरफ जहां नालियां जाम होती है. वहीं पशु हो या मानव सबकी जान माल की हानि का भी नुकसान बना रहता है.
प्रतिबंध का प्रभाव :
1. पूरे बिहार में सालाना दो सौ करोड़ का होता है कारोबार.
2. पूरे राज्य में प्लास्टिक के सामान बनाने की 28 फैक्ट्रियां, जिनमें से चार पटना में.
3. हर रोज करीब 45 टन प्लास्टिक के गिलास का उत्पादन.
4. पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक इस कार्य में संलग्न.
5. इन श्रमिकों में करीब 80 % महिला शामिल.
6. 1 जुलाई के बाद नहीं बन सकेंगे थर्मोकोल से बने ग्लास, चम्मच, कांटा, प्लेट व कटोरी.
7. पूरे पटना में हर रोज करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है.
8. पूरे बिहार में सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचड़ा निकलता है.