सीतामढ़ी की बालूशाही को भौगोलिक संकेतक को जल्द ही जी आई टैग दिया जाएगा इसके लिए कवायद शुरू की गयी है.
माना जाता है कि रुन्नीसैदपुर की विशिष्टता को दर्शाने में इस पारंपरिक मिठाई की भूमिका अहम है। छेने के साथ सुजी की एक खास अनुपात के साथ चीनी की चाशनी में बनाई जाने वाली इस मिठाई की खासियत यह है कि बगैर फ्रीज के एक सप्ताह से
दस दिनों तक भी यह खराब नहीं होती है। सैकड़ों वर्ष पूराने अपने इतिहास को समेटे तथा एक लंबे सफर को तय करने के बाद इस मिठाई को अपनी पहचान व ख्याति मिली है।
जल्द ही सिलाव का खाजा, मनेर का लड्डू व गया के मशहूर तिलकुट के साथ साथ रुन्नीसैदपुर के बालूशाही को भी जीआई टैग प्रदान किये जाने की सम्भावना है.