1980 बैच के थर्ड टाॅपर रिटायर्ड आईएएस मनाेज श्रीवास्तव (Manoj Srivastava) की गुरुवार काे पटना एम्स (Patna AIIMS) में माैत हाे गई. 62 साल के मनाेज बिहार के पहले ऐसे वरीय प्रशासनिक अधिकारी हैं जिनकी माैत काेराेना (Corona) से हुई.
बता दें कि मनोज जिस पद पर रहे बेहद लाेकप्रिय रहे. केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार में सचिव के पद पर रहते हुए अपने सेवाकाल में जनोन्मुखी योजनाओं और उसके बेहतर क्रियान्यवन के लिए सरकार के साथ आमजनों के बीच भी लोकप्रिय बने रहे. भोजपुर के जिलाधिकारी के रूप में उन 550 जिलाधिकारियों में मनाेज शामिल थे, जिनका चयन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली कार्यशाला के लिए किया गया था. साल 1985 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में डॉ मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) ने समेकित ग्रामीण विकास की योजना में इनके योगदान की खूब प्रशंसा की थी.
मनोज श्रीवास्तव इसलिए भी याद किये जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने राज्य हित को हमेशा शीर्ष पर रखा और कर्तव्यों के निर्वहन में जी-जान से लगे रहे. यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियाेजना काे धरातल पर लाये. बिहार में यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियोजना की परिकल्पना को वास्तविक धरातल पर लाने का श्रेय मनाेज काे ही जाता है. काॅम्फेड के प्रबंध निदेशक के रूप में सुधा को बिहार ब्रांड के रूप में स्थापित कर लाखों ग्रामीणों व किसानाें की सूरत बदल दी थी.
2002 में इंग्लैंड के क्राइसिस रिसर्च सेंटर में रिसर्च फेलों के रूप में इनका चयन हुआ. उनकी पुस्तक सीइंग द स्टेट-गवर्नेंस एंड गवर्नमेंटलिटि इन इंडिया प्रशासनिक क्षेत्र में आज भी एक टेक्स्ट बुक की तरह स्वीकार की जाती है. जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय से समाजशास्त्र में मास्टर करने के बाद मनाेज 1980 में प्रशासनिक सेवा में आए थे. इस वर्ष ये थर्ड टॉपर थे. इससे पहले 1979 में इनका चयन आइपीएस के लिए हुआ था.