
World Bank द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट में भारत को दुनिया के सबसे समान समाजों में स्थान दिया गया है। गिनी इंडेक्स के अनुसार, भारत का स्कोर 25.5 है, जो वैश्विक स्तर पर स्लोवाक गणराज्य (24.1), स्लोवेनिया (24.3) और बेलारूस (24.4) के बाद चौथा सबसे बेहतर प्रदर्शन है। इस प्रकार भारत 167 देशों में से सामाजिक समानता के मामले में शीर्ष चार में शामिल हो गया है।
क्या होता है गिनी इंडेक्स?
गिनी इंडेक्स किसी देश में आय, धन या उपभोग के वितरण को मापने का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इसका स्कोर 0 से 100 के बीच होता है:
0 का अर्थ पूर्ण समानता (सभी को समान आय),
जबकि 100 का अर्थ पूर्ण असमानता (सारी आय केवल एक व्यक्ति को) होता है।
भारत की स्थिति और वैश्विक तुलना
भारत का स्कोर “मध्यम रूप से कम असमानता” (Moderately Low Inequality) की श्रेणी में आता है, जो 25 से 30 के बीच के स्कोर को दर्शाता है। भारत अब “कम असमानता” वर्ग में शामिल होने से केवल एक अंक दूर है।
तुलनात्मक रूप से:
भारत का स्कोर चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) से कहीं बेहतर है।
भारत की स्थिति ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की तुलना में काफी सशक्त है, जहाँ असमानता कहीं अधिक है।
भारत लगातार सुधार की दिशा में
भारत का गिनी स्कोर 2011 में 28.8 था, जो 2022 में घटकर 25.5 हो गया। यह दर्शाता है कि भारत ने आर्थिक विकास को सामाजिक न्याय और समानता से जोड़ने में निरंतर प्रयास किए हैं।
इसमें सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, रोजगार व कौशल विकास कार्यक्रम, और समावेशी वित्तीय नीतियाँ एक अहम भूमिका निभा रही हैं।
शैक्षणिक दृष्टिकोण से महत्व
यह जानकारी अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, नीति-निर्माण और विकास अध्ययन के छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि:
गिनी इंडेक्स जैसे आँकड़े समाज की संरचना को कैसे दर्शाते हैं
आर्थिक विकास और सामाजिक समानता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाता है
कैसे नीतिगत सुधार, गरीबी उन्मूलन और जनहितकारी योजनाएँ समानता बढ़ाने में सहायक होती हैं
यह भारत की वैश्विक छवि को एक सशक्त और समावेशी राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है, जो केवल आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय में भी अग्रणी बनने की दिशा में अग्रसर है।
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