5 जनवरी‚ 2022 को केंद्रीय पर्यावरण‚ वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 19वीं बैठक हुई।
इस बैठक में भारत में चीता के पुनर्वास के लिए एक कार्ययोजना (Action Plan For Introduction of Cheatah in India) जारी की गई।
इस कार्ययोजना के तहत अगले 5 वर्षों की अवधि में देश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में 50 चीते दूसरे देशों से ला कर रखे जाएंगे।
वर्ष 1952 में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका से नवंबर‚ 2021 में अफ्रीकी चीतों को ला कर मध्य प्रदेश स्थित कुनो पालपुर नेशनल पार्क में रखने की योजना थी‚ किन्तु महामारी (कोविड-19) के कारण यह योजना सफल नहीं हो सकी।
वर्तमान में देश में 51 टाइगर रिजर्व हैं।
सरकार अधिक क्षेत्रों को टाइगर नेटवर्क के तहत लाने हेतु प्रयासरत है।
इस अवसर पर उन्होंने एक वाटर एटलस का भी विमोचन किया।
इसमें भारत के बाद्य वाले क्षेत्रों के सभी जल निकायों का मानचित्रण है।
इस एटलस में शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी परिदृश्य‚ मध्य भारतीय परिदृश्य और पूर्वी घाट‚ पश्चिमी घाट परिदृश्य उत्तर-पूर्वी पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान और सुंदरबन सहित कई क्षेत्रों की जानकारी शामिल है।
35 नदियां विभिन्न टाइगर रिजर्व क्षेत्रों से निकलती हैं‚ जो जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जुलाई‚ 2021 में भारत के 14 टाइगर रिजर्व को सीए टीएस मान्यता प्राप्त हुई थी।
इसमें असम में स्थित मानस‚ काजीरंगा और ओरंगा‚ मध्य प्रदेश में स्थित सतपुड़ा‚ कान्हा और पन्ना‚ महाराष्ट्र में स्थित पेंच‚ बिहार में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व‚ उत्तर प्रदेश में स्थित दुधवा‚ पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन‚ केरल में स्थित परम्बिकुलम‚ कर्नाटक में स्थित बांदीपुर टाइगर रिजर्व और तमिलनाडु में स्थित मुदुमलाई और अनामलाई टाइगर रिजर्व शामिल हैं।
प्रधानमंत्री अगले 5 वर्षों में 50 चीते सहित 7 बड़ी बिल्लियों के संरक्षण और सुरक्षा के इच्छुक हैं‚ जिन्हें विभिन्न पार्कों में पुनर्वास के लिए रखा जाएगा।