COVID-19 के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जूनोटिक बीमारियों पर जारी रिपोर्ट

हाल ही में ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ ( UNEP) तथा ‘अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान’  द्वारा COVID-19 महामारी के संदर्भ में ‘प्रिवेंटिंग द नेक्स्ट पेंडेमिक: ज़ूनोटिक डिजीज़ एंड हाउ टू ब्रेक द चेन ऑफ ट्रांसमिशन’ नामक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।

EXAM बिंदु- 
इस रिपोर्ट में मनुष्यों में होने वाली ज़ूनोटिक बीमारियों ( Zoonotic Diseases) की प्रकृति एवं प्रभाव पर चर्चा की गई है।6 जुलाई, 1885 को फ्रांसीसी जीवविज्ञानी लुई पाश्चर द्वारा सफलतापूर्वक जूनोटिक बीमारी रेबीज़ के खिलाफ पहला टीका विकसित किया था।इसलिए रिपोर्ट का प्रकाशन 6 जुलाई को ‘विश्व ज़ूनोसिस दिवस’  के अवसर पर किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों में 60% ज्ञात ज़ूनॉटिक रोग हैं तथा 70% ज़ूनोटिक रोग ऐसे है जो अभी ज्ञात नहीं हैं।विश्व में हर वर्ष निम्न- मध्यम आय वाले देशों में 10 लाख लोग ज़ूनोटिक रोगों के कारण मर जाते हैं।
पिछले दो दशकों में, ज़ूनोटिक रोगों के कारण   100 बिलियन डालर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है जिसके अगले कुछ वर्षों में $ 9 ट्रिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
अगर पशुजनित बीमारियों की रोकथाम के प्रयास नहीं किये गए तो COVID-19 जैसी अन्य महामारियों का आगे भी सामना करना पड़ सकता है।

जूनोटिक रोग –ऐसे रोग जो पशुओं के माध्यम से मनुष्यों में फैलते है उन्हें  ज़ूनोसिस या ज़ूनोटिक रोग कहा जाता है।ज़ूनोटिक संक्रमण प्रकृति या मनुष्यों में जानवरों के अलावा  बैक्टीरिया,वायरस  या परजीवी के माध्यम से फैलता है।इबोला,निपाह वाइरस , हंता वाइरस ,  रेबीज़ , तथा वर्तमान कोरोनावायरस रोग ज़ूनोटिक संक्रमण के कारण फैलने वाले रोग हैं

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